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White की तू सज धज कर श्रृंगार करे,मैं तेरे भाल सा कुमकुम हो जाऊ तेरे हाथों की मेंहदी मे, मैं थोड़ा सा कही गुम हो जाऊ ज्यों ज्यों बजती पेजनियां के ,शौर सा मैं तेरा हो जाऊ तू लेकर छलनी जो छज्झर चढ़े मैं तेरे चाँद सा बादल मे हो जाऊ कर कर हंसी ठिठोली देरतक, मैं थोड़ा सा तुमको दिख जाऊ जैसे लगो निहारने तुम मुझको, मैं फिर बादल सा हो जाऊ चलो बहुत हुई ये शैतानी , अब तुमको मैं दिख जाऊ करो तैयारी पूजन की,मैं तुम्हारी छलनी मे समा जाऊ By...... shayar...... gumnaam......20102024 ©aazad parinda

 White  की 
तू सज धज कर श्रृंगार करे,मैं तेरे भाल सा कुमकुम हो जाऊ 
 तेरे हाथों की मेंहदी मे, मैं थोड़ा सा कही गुम हो जाऊ
ज्यों ज्यों बजती पेजनियां के ,शौर सा मैं तेरा हो जाऊ
तू लेकर छलनी जो छज्झर चढ़े मैं तेरे चाँद सा बादल मे हो जाऊ
कर कर हंसी ठिठोली देरतक, मैं थोड़ा सा तुमको दिख जाऊ 
जैसे लगो निहारने तुम मुझको, मैं फिर बादल सा हो जाऊ 
चलो बहुत हुई ये शैतानी , अब तुमको मैं दिख जाऊ
करो तैयारी पूजन की,मैं तुम्हारी छलनी मे समा जाऊ 
By...... shayar...... gumnaam......20102024

©aazad parinda

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#Sad_shayri  White तन्हाइयों में है जिंदगी, सो तन्हा गुजार रहे है हम
रहा होगा कोई कर्ज किसी का सो उतार रहे है हम
और सहसा इल्म नही चाहिए लोगो को मेरी मुफलिसी का
सो रफ्ता रफ्ता नकाब बे रूखी का उतार रहे है हम
By...... शायर गुमनाम   09082024

©aazad parinda

#Sad_shayri

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#fathers_day  White अर्ज किया है कि 
ये घर बार,दरों दीवार सब तेरे है
ये प्यार,व्यार संस्कार सब तेरे है 
और होते होंगे लोग लालची तेरे धन के मगर
हम तो जैसे है,किरायेदार सब तेरे है 
कर कर खून पानी अपना सब पौधे लगाए तेरे है
तेरी बरसी रहमत के शुक्रगुजार सब तेरे है
एक इल्तज़ा करके रब से,यही मिन्नत सब ने मांगी है
रहे सलामत नायक घर का,हर कोई सहारे तेरे है
ये घर बार,दरों दीवार सब तेरे है.......(2)
(एक रूप पिता का.............ऐसा भी)
By...... शायर...... गुमनाम

©aazad parinda

#fathers_day by... शायर......गुमनाम

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 White    शीर्षक:: पत्रकार की जिंदगी
की
सारा दिन थक हार के
चलते फिर भी सीना तान के
अपनी जान को हाथ पर रख कर
रहते सच निकाल के
ना धूप छाव का है ख्याल कोई
कभी बन जाती जिंदगी सवाल कोई
इस डिजिटल होते दौर में 
क्या करू किसी से मलाल कोई
की घर में ज्यादा टिक नहीं पाता 
लेकिन फर्ज सभी (भाई,बाप, बेटा) का निभाता हूं 
जब _जब हो बात धर्म _अधर्म की
मैं सबसे पहले आता हूं 
इन आती जाती सरकारों से बोलो अब तो क्या कहना है
मैं बन जाऊ नाद आपकी,फिर सबको हक दिलाता हूं 
By......शायर ......गुमनाम
©ajay kumar jabdoliya

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पत्रकार की जिंदगी

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#Reindeer  की
तेरी आंखों में डूब जाए, तू आवाज तो दे
तुझे तुझसे खूब,चाहे तू आवाज तो दे
तूने छोड़ा है तीर नजर से तो क्या करे
छोड़ दें राह में दिल को तू आवाज तो दे 
By....... शायर.......गुमनाम

©aazad parinda

#Reindeer

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#hibiscussabdariffa  की
आप दोनो की जिंदगी को नए आयाम मिले
हर दिन खुशियों के नए पयाम मिले
है दुआ ये इक दूजे के राज का मान करना
चाहे फुसफुसाहट के किस्से तमाम मिले

dil se...... शायर गुमनाम...
dear tarun...

©aazad parinda
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