Dr Ravi Lamba

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कलम का सिपाही 2) government doctor (hcms- 1) love to write MS ENT Resident

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White जिसके सहारे काट सके बाकी ज़िन्दगी ऐसा कोई ब्रह्म ना मिला जख्म तोह खूब दिये ज़िन्दगी ने मगर मगर उन पर लगाने को मलहम ना मिला चौपाल पर बैठ जिसने सबको अपना कहा आज अकेली अर्थी पर उसे कोई अपना हम ना मिला और जो तलाशता था हम उजियारे महल में जो बरतता उस आशियाने को ऐसा कोई अपना हम ना मिला दुनिया मैं जिसके लिए खोना हैं वो दुसरे के लिए पाना हैं। यही हैं दुनिया की रीत ऐसी कोई व्यावस्था हो जो खुश और दुखी हैं अलग रहे बन जाये ऐसी एक भीत ©Dr Ravi Lamba

#कविता #urdushayari #urduwriters #HindiPoem #sad_qoute  White जिसके सहारे काट सके बाकी ज़िन्दगी ऐसा कोई ब्रह्म ना मिला 
जख्म तोह खूब दिये ज़िन्दगी ने मगर 
मगर उन पर लगाने को मलहम ना मिला 
चौपाल पर बैठ जिसने सबको अपना कहा 
आज अकेली अर्थी पर उसे कोई अपना हम ना मिला
और जो तलाशता था हम उजियारे महल में 
जो बरतता उस आशियाने को ऐसा कोई अपना हम ना मिला 
दुनिया मैं जिसके लिए खोना हैं वो दुसरे के लिए पाना हैं। यही हैं दुनिया की रीत
ऐसी कोई व्यावस्था हो जो खुश और दुखी हैं अलग रहे बन जाये ऐसी एक भीत

©Dr Ravi Lamba

कुछ यू धकेला हैं, मेरे अपनों ने चाह कर भी संभलने वाला नहीं कुछ यू पत्थर बना, लूँगा दिल को अपने तेरे अश्कों से भी पिघलने वाला नहीं एक एक करके सब रुख़सत ज़हन से मेरे तेरे यादों का गुलदस्ता निकलने वाला नहीं एक शाम ऐसे सो जाऊंगा मैं, अगली सुबह जागने वाला नहीं ©Dr Ravi Lamba

#शायरी  कुछ यू धकेला हैं, मेरे अपनों ने चाह कर भी संभलने वाला नहीं 
कुछ यू पत्थर बना, लूँगा दिल को अपने तेरे
अश्कों से भी पिघलने वाला नहीं 
एक एक करके सब रुख़सत ज़हन से मेरे 
तेरे यादों का गुलदस्ता निकलने वाला नहीं
एक शाम ऐसे सो जाऊंगा मैं, अगली सुबह जागने वाला नहीं

©Dr Ravi Lamba

कुछ यू धकेला हैं, मेरे अपनों ने चाह कर भी संभलने वाला नहीं कुछ यू पत्थर बना, लूँगा दिल को अपने तेरे अश्कों से भी पिघलने वाला नहीं एक एक करके सब रुख़सत ज़हन से मेरे तेरे यादों का गुलदस्ता निकलने वाला नहीं एक शाम ऐसे सो जाऊंगा मैं, अगली सुबह जागने वाला नहीं ©Dr Ravi Lamba

12 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कुछ यू धकेला हैं, अपनों ने मुझे अब सँभलने वाला नहीं एक रात ऐसे सो जाऊंगा, अगली सुबह उठने वाला नहीं ©Dr Ravi Lamba

#शायरी #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset कुछ यू धकेला हैं, अपनों ने मुझे अब सँभलने वाला नहीं 
एक रात ऐसे सो जाऊंगा, अगली सुबह उठने वाला नहीं

©Dr Ravi Lamba

#SunSet

13 Love

जो रहती थी व्यस्त सारे दिन अब माँ दिन में भी सोने लगी हैं। मुझे अब घर लौट जाना चाहिए पापा कि खांसी तेज होने लगी हैं। छोटी छोटी बातों पर माँ अड़ने लगी हैं। चेहरे पर झूरियो ने जगह लेली हैं। पापा ने खालीपन को दूर करने को सिगरेट कि वजह लेली हैं। जिसने उठाया वजन बच्चों का कोख में अब ज़रा सा चलने पर कमर अकड़ने लगी हैं जिनकी उँगलियाँ पकड़ी थी हम सबने आज हमारे सहारे कि जरुरत पड़ने लगी है। इन बातों कि चिंता आँखें भिगोने लगी हैं। घर चलना चाहिए अब मुझे पापा कि खांसी तेज होने लगी हैं। ©Dr Ravi Lamba

#कविता  जो रहती थी व्यस्त सारे दिन अब माँ दिन में भी सोने लगी हैं।
मुझे अब घर लौट जाना चाहिए पापा कि खांसी तेज होने लगी हैं।
छोटी छोटी बातों पर माँ अड़ने लगी हैं।
चेहरे पर झूरियो ने जगह लेली हैं।
पापा ने खालीपन को दूर करने को सिगरेट कि वजह लेली हैं।
जिसने उठाया वजन बच्चों का कोख में अब ज़रा सा चलने पर कमर अकड़ने लगी हैं 
जिनकी उँगलियाँ पकड़ी थी हम सबने आज हमारे सहारे कि जरुरत पड़ने लगी है।
इन बातों कि चिंता आँखें भिगोने लगी हैं।
घर चलना चाहिए अब मुझे पापा कि खांसी तेज होने लगी हैं।

©Dr Ravi Lamba

जो रहती थी व्यस्त सारे दिन अब माँ दिन में भी सोने लगी हैं। मुझे अब घर लौट जाना चाहिए पापा कि खांसी तेज होने लगी हैं। छोटी छोटी बातों पर माँ अड़ने लगी हैं। चेहरे पर झूरियो ने जगह लेली हैं। पापा ने खालीपन को दूर करने को सिगरेट कि वजह लेली हैं। जिसने उठाया वजन बच्चों का कोख में अब ज़रा सा चलने पर कमर अकड़ने लगी हैं जिनकी उँगलियाँ पकड़ी थी हम सबने आज हमारे सहारे कि जरुरत पड़ने लगी है। इन बातों कि चिंता आँखें भिगोने लगी हैं। घर चलना चाहिए अब मुझे पापा कि खांसी तेज होने लगी हैं। ©Dr Ravi Lamba

14 Love

गम ए जिंदगी मे खूब उदासी हैं। मुन्तज़िर निगाहें उनकी झलक कि प्यासी हैं। रोज़ नई ठोंकर खाता आ रहा हूँ मगर सोचता हूँ ज़िन्दगी देती रोज़ नई शाबासी हैं। ©Dr Ravi Lamba

#शायरी #good_night  गम ए जिंदगी मे खूब उदासी हैं।
मुन्तज़िर निगाहें उनकी झलक कि प्यासी हैं।
रोज़ नई ठोंकर खाता आ रहा हूँ 
मगर सोचता हूँ ज़िन्दगी देती रोज़ नई शाबासी हैं।

©Dr Ravi Lamba

#good_night

16 Love

सोचता हूँ एक नज़्म लिखूँ तेरे बारे में मानो चर्चा जुगनूओं कि हो कमरे अंधियारे में। तेरी हया कि पलकों को शाम लिखूँ आसमान में खूबसूरत लिखूँ उसके नीचे तेरा नाम लिखूँ । तेरे साथ देखा हर एक ख्वाब लिखूँ तेरे होठों को गुलाब लिखूँ। ज़ब शा लिखूँ बवाल हो जाये ज़ब लि लिखूँ उसके ख्याल में खो जाये ज़ब जिक्र हो नी का खड़ा सवाल हो जाये जब तीनो को साथ लिखूँ रवि घायल हो जाये। ©Dr Ravi Lamba

#कविता  सोचता हूँ एक नज़्म लिखूँ तेरे बारे में 
मानो चर्चा जुगनूओं कि हो कमरे अंधियारे में।
तेरी हया कि पलकों को शाम लिखूँ 
आसमान में खूबसूरत लिखूँ उसके नीचे तेरा नाम लिखूँ ।
तेरे साथ देखा हर एक ख्वाब लिखूँ 
तेरे होठों को गुलाब लिखूँ।
ज़ब शा लिखूँ बवाल हो जाये 
ज़ब लि लिखूँ उसके ख्याल में खो जाये 
ज़ब जिक्र हो नी का खड़ा सवाल हो जाये 
जब तीनो को साथ लिखूँ रवि घायल हो जाये।

©Dr Ravi Lamba

सोचता हूँ एक नज़्म लिखूँ तेरे बारे में मानो चर्चा जुगनूओं कि हो कमरे अंधियारे में। तेरी हया कि पलकों को शाम लिखूँ आसमान में खूबसूरत लिखूँ उसके नीचे तेरा नाम लिखूँ । तेरे साथ देखा हर एक ख्वाब लिखूँ तेरे होठों को गुलाब लिखूँ। ज़ब शा लिखूँ बवाल हो जाये ज़ब लि लिखूँ उसके ख्याल में खो जाये ज़ब जिक्र हो नी का खड़ा सवाल हो जाये जब तीनो को साथ लिखूँ रवि घायल हो जाये। ©Dr Ravi Lamba

13 Love

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