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White दरख्तों के नीचे बैठो फूलों की ताजगी ओढ़ कर तो देखो यकीनन खूबसूरत लगोगे तुम बदन पर सादगी ओढ़ कर तो देखो आशीष त्रिपाठी ©Ashish Tripathi
Ashish Tripathi
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White गर्मियों की दोपहर में जब मचलती है हवा सूखी पत्तियों की फौज मेरे दर पर आती है समझा बुझाकर शांत कर देती है धूप को इक छांव पेड़ की जो मेरे घर पर आती है आशीष त्रिपाठी ©Ashish Tripathi
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छोटी सी छांव भी नसीब में नहीं है अब सर के पेड़ों को काटकर कमरे बढ़ाए हैं हमने घर के आशीष त्रिपाठी ©Ashish Tripathi
16 Love
वो बूढ़ा बरगद बहुत मायूस और तन्हा सा है जिसकी पुरानी शाखों पर बने टायर के झूलों पर कभी झूलता था बचपन आशीष त्रिपाठी ©Ashish Tripathi
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