छोटी सी छांव भी नसीब में नहीं है अब सर के पेड़ों | हिंदी कविता

"छोटी सी छांव भी नसीब में नहीं है अब सर के पेड़ों को काटकर कमरे बढ़ाए हैं हमने घर के आशीष त्रिपाठी ©Ashish Tripathi"

 छोटी सी छांव भी नसीब में नहीं है अब सर के
 पेड़ों को काटकर कमरे बढ़ाए हैं हमने घर के आशीष त्रिपाठी

©Ashish Tripathi

छोटी सी छांव भी नसीब में नहीं है अब सर के पेड़ों को काटकर कमरे बढ़ाए हैं हमने घर के आशीष त्रिपाठी ©Ashish Tripathi

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