White गर्मियों की दोपहर में जब मचलती है हवा सूखी | हिंदी शायरी

"White गर्मियों की दोपहर में जब मचलती है हवा सूखी पत्तियों की फौज मेरे दर पर आती है समझा बुझाकर शांत कर देती है धूप को इक छांव पेड़ की जो मेरे घर पर आती है आशीष त्रिपाठी ©Ashish Tripathi"

 White गर्मियों की दोपहर में जब मचलती है हवा
 सूखी पत्तियों की फौज मेरे दर पर आती है

 समझा बुझाकर शांत कर देती है धूप को
 इक छांव पेड़ की जो मेरे घर पर आती है
 आशीष त्रिपाठी

©Ashish Tripathi

White गर्मियों की दोपहर में जब मचलती है हवा सूखी पत्तियों की फौज मेरे दर पर आती है समझा बुझाकर शांत कर देती है धूप को इक छांव पेड़ की जो मेरे घर पर आती है आशीष त्रिपाठी ©Ashish Tripathi

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