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Vivekananda Jayanti गीत - उठो जागो चलो तबतक न जबतक लक्ष्य मिल जाए । विवेकानन्द स्वामी के बिना यह कौन समझाए ॥ लगाकर पौध कंटक का रसीला फल नहीं मिलता । सहे बिन शीत बारिश धूप वन उपवन नहीं खिलता ॥ स्वयं को जो नहीं जाना न हरि को जान वो पाए । विवेकानन्द स्वामी के बिना यह कौन समझाए ॥ मनुज है सोचता जैसा किया करता है कृत वैसा । जनम पाया है मानव का बने क्यों दानवों जैसा ॥ डिगो मत सत्य - पथ से झूठ तुमको लाख भरमाए । विवेकानन्द स्वामी के बिना यह कौन समझाए ॥ स्वयं पर जो रखे विश्वास मंजिल है वही पाता । सफल होता नही वह जो किए बिन सोच घबराता ॥ जगत में मिल रहा अनुभव मनुज को नित्य सिखलाए । विवेकानन्द स्वामी के बिना यह कौन समझाए ॥ जय श्री कृष्ण🙏 कृष्ण कुमार मिश्र 'किशन ' खरचौला , बाँसी - सिद्धार्थनगर ( उ ० प्र ० ) ©krishna
krishna
19 Love
जीवन भर जिसने पढ़ा , दो का दूना आठ । देखा उसको बाँचते , नैतिकता का पाठ ॥ जय श्री कृष्ण🙏 ©krishna
12 Love
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset देखकर मत कहें लक्ष्य छोटा बड़ा । है सफल वह हुआ जो मनस से लड़ा ॥ तैरता जो वही जानता वेग को । क्या पता है उसे जो किनारे खड़ा ॥ जय श्री कृष्ण🙏 ©krishna
11 Love
New Year 2025 द्वेष नफरत मिटाएं नये वर्ष में । कुछ नया कर दिखाएं नये वर्ष में ॥ सिर्फ दौलत कमाना कमाना नहीं । प्यार भी तो कमाएं नये वर्ष में ॥ जय श्री कृष्ण🙏 ©krishna
16 Love
15 Love
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