Vivekananda Jayanti
गीत -
उठो जागो चलो तबतक न जबतक लक्ष्य मिल जाए ।
विवेकानन्द स्वामी के बिना यह कौन समझाए ॥
लगाकर पौध कंटक का रसीला फल नहीं मिलता ।
सहे बिन शीत बारिश धूप वन उपवन नहीं खिलता ॥
स्वयं को जो नहीं जाना न हरि को जान वो पाए ।
विवेकानन्द स्वामी के बिना यह कौन समझाए ॥
मनुज है सोचता जैसा किया करता है कृत वैसा ।
जनम पाया है मानव का बने क्यों दानवों जैसा ॥
डिगो मत सत्य - पथ से झूठ तुमको लाख भरमाए ।
विवेकानन्द स्वामी के बिना यह कौन समझाए ॥
स्वयं पर जो रखे विश्वास मंजिल है वही पाता ।
सफल होता नही वह जो किए बिन सोच घबराता ॥
जगत में मिल रहा अनुभव मनुज को नित्य सिखलाए ।
विवेकानन्द स्वामी के बिना यह कौन समझाए ॥
जय श्री कृष्ण🙏
कृष्ण कुमार मिश्र 'किशन '
खरचौला , बाँसी - सिद्धार्थनगर ( उ ० प्र ० )
©krishna
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