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लेखक एवं संस्थापक मानसरोवर साहित्य अकादमी श्रीगंगानगर राजस्थान
चेहरा किताब हो तो देवनागरी में पढ़ लूं आंखें शरारत से भरी हो तो उर्दू में पढ़ लूं। सौम्यता में ठहराव हो तो संस्कृत में पढ़ लूं फिर भी कहीं चूक हो तो नई व्याकरण गढ़ लूं। ©M.S. Suthar
Maan Singh Suthar
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दर्द से रिश्ता न रख.... ऐसा कहकर वो दर्द देकर चल दिए मैं ज़िन्दगी की तलाश में मौत से मुहब्बत कर बैठा..... ©M.S. Suthar
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Sunday, 7 August | 05:19 pm
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खौफ़ है दिल में घर बनाए बैठा है चीर कर रख देता है सांसों को भी ©M.S. Suthar
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**** चमक **** चमक मेरी गई तो क्या, गम नहीं हम शब्दों की दिवाली रोशन करेंगे अर्से बाद फिर वनवास का अंत होगा एक नई रामायण का आगाज करेंगे | अंत होगा बंदिशों का सत्य भी मिलेगा ध्रुव को भी गगन में फिर स्थापित करेंगे एक नई सवेर फिर उदय होगी पटल पर उँचे स्वर में उसी अंदाज में आवाज़ करेंगे | ©M.S. Suthar
जो दिल में है वो जुबां पे कब लाते हैं लोग बहुत बार दिल की दिल में छुपा के रह जाते है लोग इक मुस्कान चिपकी सी रह जाती है होठो पर एक नकाब के पीछे बहुत कुछ छुपा के रख लेते हैं लोग दिल के रिश्ते हो या खून के रिश्ते इक डोर से बँधे है बस एक हल्की सी कसक को गाँठ में रख लेते हैं लोग.. ©M.S. Suthar
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