रतनेश पाठक_ Protest Writer

रतनेश पाठक_ Protest Writer Lives in Delhi, Delhi, India

मेरे अल्फ़ाज़ों को गौर से मत पढ़ पगली प्यार हो जाएगा 😉😊

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बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला सत्य अहिंसा पाठ पढ़ा के तुमने था जो ज्ञान दिया हिंसा के अनुयायी बन हमने बस अपमान किया जात धर्म के नाम पर तुमने अपना जो रुख रखा था उस रुख के विपरीत देश को जात धर्म मे बाँट दिया अरे हिन्दू मुस्लिम में भेद नही तुमने था ये पाठ पढ़ाया पर मुल्लों और पंडित में जन जन को हमने बाँट दिया हाँ बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला जिस चाचा नेहरू को तूने जाने कितना सम्मान दिया वो नेहरू गली मोहल्ले में अब जन की गाली खाते हैं जिस लोकतंत्र का ख्वाब संजो के भारत का निर्माण किया उस लोकतंत्र को देखो हमने भीड़तंत्र में बदल दिया जिस संविधान की मूरत को संसद में था सबने पूजा उसी संविधान के भक्षक को संसद की गद्दी दे डाला अरे बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला बापू मुझसे ये ना पूछो तेरी धरती कैसी है जैसा तूने सोचा था बिल्कुल नहीं ये वैसी है अब आतंकवादी मंत्री है और सैनिक देशद्रोही है अब हत्यारों को फूल है मिलती और तिरंगा काया को मंत्री भी हैं गले लगाते और बुलाते रैली में अब अस्मत की भी मोल नहीं हाँ धर्म मे तौले जाते हैं हिन्दू या मुस्लिम पीड़ित है ये देख के पक्ष में आते हैं अब बापू तेरे हत्यारे भी देशभक्त कहलाते हैं और साथ दिया था जिसने तेरा देशद्रोही कहलाते हैं हाँ बापू कुछ ऐसी सूरत तेरी धरती की अब है जिसको तूने सिंचा था वो बंजर बन अब बैठी है अच्छा है तू नहीं है बापू पल पल छन छन मार जाता काया को तो छोड़ दो बापू रूह भी जलाया जाता तेरी लाठी तेरे सर मार के खुश हो लेते वो और मूक बधिर ये पत्रकार फिर दोषी तुझको कह देते.. 🤐🤐🤐🤐🤐🤐 👆 मेरी कलम कुछ कहती है👆 ☺️ रतनेश पाठक ☺️ ©रतनेश पाठक_ Protest Writer

#gandhijayanti #nojohindi #Gandhi  बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला
सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला 
सत्य अहिंसा पाठ पढ़ा के तुमने था जो ज्ञान दिया 
हिंसा के अनुयायी बन हमने बस अपमान किया 
जात धर्म के नाम पर तुमने अपना जो रुख रखा था 
उस रुख के विपरीत देश को जात धर्म मे बाँट दिया 
अरे हिन्दू मुस्लिम में भेद नही तुमने था ये पाठ पढ़ाया 
पर मुल्लों और पंडित में जन जन को हमने बाँट दिया 
हाँ बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला
सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला
जिस चाचा नेहरू को तूने जाने कितना सम्मान दिया 
वो नेहरू गली मोहल्ले में अब जन की गाली खाते हैं 
जिस लोकतंत्र का ख्वाब संजो के भारत का निर्माण किया
उस लोकतंत्र को देखो हमने भीड़तंत्र में बदल दिया
जिस संविधान की मूरत को संसद में था सबने पूजा 
उसी संविधान के भक्षक को संसद की गद्दी दे डाला 
अरे बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला
सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला
बापू मुझसे ये ना पूछो तेरी धरती कैसी है 
जैसा तूने सोचा था बिल्कुल नहीं ये वैसी है 
अब आतंकवादी मंत्री है और सैनिक देशद्रोही है
अब हत्यारों को फूल है मिलती और तिरंगा काया को 
मंत्री भी हैं गले लगाते और बुलाते रैली में
अब अस्मत की भी मोल नहीं हाँ धर्म मे तौले जाते हैं
हिन्दू या मुस्लिम पीड़ित है ये देख के पक्ष में आते हैं 
अब बापू तेरे हत्यारे भी देशभक्त कहलाते हैं 
और साथ दिया था जिसने तेरा देशद्रोही कहलाते हैं
हाँ बापू कुछ ऐसी सूरत तेरी धरती की अब है 
जिसको तूने सिंचा था वो बंजर बन अब बैठी है
अच्छा है तू नहीं है बापू पल पल छन छन मार जाता 
काया को तो छोड़ दो बापू रूह भी जलाया जाता 
तेरी लाठी तेरे सर मार के खुश हो लेते वो
और मूक बधिर ये पत्रकार फिर दोषी तुझको कह देते..
🤐🤐🤐🤐🤐🤐
👆 मेरी कलम कुछ कहती है👆
☺️ रतनेश पाठक ☺️

©रतनेश पाठक_ Protest Writer
#gandhijayanti #nojohindi #Gandhi  बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला
सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला 
सत्य अहिंसा पाठ पढ़ा के तुमने था जो ज्ञान दिया 
हिंसा के अनुयायी बन हमने बस अपमान किया 
जात धर्म के नाम पर तुमने अपना जो रुख रखा था 
उस रुख के विपरीत देश को जात धर्म मे बाँट दिया 
अरे हिन्दू मुस्लिम में भेद नही तुमने था ये पाठ पढ़ाया 
पर मुल्लों और पंडित में जन जन को हमने बाँट दिया 
हाँ बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला
सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला
जिस चाचा नेहरू को तूने जाने कितना सम्मान दिया 
वो नेहरू गली मोहल्ले में अब जन की गाली खाते हैं 
जिस लोकतंत्र का ख्वाब संजो के भारत का निर्माण किया
उस लोकतंत्र को देखो हमने भीड़तंत्र में बदल दिया
जिस संविधान की मूरत को संसद में था सबने पूजा 
उसी संविधान के भक्षक को संसद की गद्दी दे डाला 
अरे बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला
सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला
बापू मुझसे ये ना पूछो तेरी धरती कैसी है 
जैसा तूने सोचा था बिल्कुल नहीं ये वैसी है 
अब आतंकवादी मंत्री है और सैनिक देशद्रोही है
अब हत्यारों को फूल है मिलती और तिरंगा काया को 
मंत्री भी हैं गले लगाते और बुलाते रैली में
अब अस्मत की भी मोल नहीं हाँ धर्म मे तौले जाते हैं
हिन्दू या मुस्लिम पीड़ित है ये देख के पक्ष में आते हैं 
अब बापू तेरे हत्यारे भी देशभक्त कहलाते हैं 
और साथ दिया था जिसने तेरा देशद्रोही कहलाते हैं
हाँ बापू कुछ ऐसी सूरत तेरी धरती की अब है 
जिसको तूने सिंचा था वो बंजर बन अब बैठी है
अच्छा है तू नहीं है बापू पल पल छन छन मार जाता 
काया को तो छोड़ दो बापू रूह भी जलाया जाता 
तेरी लाठी तेरे सर मार के खुश हो लेते वो
और मूक बधिर ये पत्रकार फिर दोषी तुझको कह देते..
🤐🤐🤐🤐🤐🤐
👆 मेरी कलम कुछ कहती है👆
☺️ रतनेश पाठक ☺️

©रतनेश पाठक_ Protest Writer

मेरे देश के बंधु देखो कैसी ये सरकार तुम्हारी बेटी की इज़्ज़त ना प्यारी ऐसी है सरकार तुम्हारी और महलों मे खामोशी से तुम सारे जो बैठे हो अपने घर की बेटी को तुम बेटी कैसे कहते हो पदक को रौशन कर के वो देश का नाम बढाए थे गर उनकी ऐसी हालत हो तो औरों की फिर क्या होगी अब प्रश्न नहीं है सत्ता से ये प्रश्न मरे समाज़ों से क्या अपनी आँखों से ख़ुद को इज़्ज़त बख़्श भी पाते हो या इस हद तक सब निर्लज्ज हो कि निर्लज्ज ही रह जाते हो।। उस जिह्वा का कट जाना ही बेहतर है जो नारी सम्मान मे थिरक ना सके।। 😔 रतनाक्षर 😞 Ashamed to be born in a shameless socity. ©रतनेश पाठक_ Protest Writer

#कविता #nojotahindi #Women  मेरे देश के बंधु देखो कैसी ये सरकार तुम्हारी
बेटी की इज़्ज़त ना प्यारी ऐसी है सरकार तुम्हारी
और महलों मे खामोशी से तुम सारे जो बैठे हो
अपने घर की बेटी को तुम बेटी कैसे कहते हो 
पदक को रौशन कर के वो देश का नाम बढाए थे
गर उनकी ऐसी हालत हो तो औरों की फिर क्या होगी
अब प्रश्न नहीं है सत्ता से ये प्रश्न मरे समाज़ों से 
क्या अपनी आँखों से ख़ुद को इज़्ज़त बख़्श भी पाते हो
या इस हद तक सब निर्लज्ज हो कि निर्लज्ज ही रह जाते हो।। 

उस जिह्वा का कट जाना ही बेहतर है जो नारी सम्मान मे थिरक ना सके।। 

😔 रतनाक्षर 😞
 
Ashamed to be born in a shameless socity.

©रतनेश पाठक_ Protest Writer

वो पूछते हैं बेखबर कि क्यों हो तुम ख़फ़ा ख़फ़ा तुम्ही बताओ रहगुजर मैं कैसे कह दूँ राज़ ये क्या ज़ख़्म है मेरे ज़ेहन मे शूल सा ये क्या चुभे क्या आरज़ू है मेरे दिल की स्वप्न भी हैं क्या दबे क्यों ख्वाबों के सितारों को मैं खुद से ही छुपा रहा कैसे कहूँ कैसे कहूँ कैसे कहूँ ये राज़ मैं तुम्ही बताओ रहगुज़र मैं कैसे कह दूँ राज़ ये क्यों पन्नों पे लिखी स्याही खुद से ही मिटा रहा कहानियाँ लिखी थी जिसमे उनको क्यों जला रहा क्यूँ तस्वीरें जो थी गढ़ी वो तस्वीरें नहीं रहीं क्यूँ रंगों से मैं बेवजह यूँ ही कहीं हूँ भागता कैसे कहूँ कैसे कहूँ कैसे कहूँ ये राज़ मैं तुम्ही बताओ रहगुज़र मैं कैसे कह दूँ राज़ ये वो पूछते हैं बेखबर कि क्यों हो तुम ख़फ़ा ख़फ़ा!! 😍 रतनाक्षर- रतनेश पाठक 😍 ©रतनेश पाठक_ Protest Writer

#कविता  वो पूछते हैं बेखबर कि क्यों हो तुम ख़फ़ा ख़फ़ा
तुम्ही बताओ रहगुजर मैं कैसे कह दूँ राज़ ये
क्या ज़ख़्म है मेरे ज़ेहन मे शूल सा ये क्या चुभे
क्या आरज़ू है मेरे दिल की स्वप्न भी हैं क्या दबे
क्यों ख्वाबों के सितारों को मैं खुद से ही छुपा रहा
कैसे कहूँ कैसे कहूँ कैसे कहूँ ये राज़ मैं
तुम्ही बताओ रहगुज़र मैं कैसे कह दूँ राज़ ये 
क्यों पन्नों पे लिखी स्याही खुद से ही मिटा रहा
कहानियाँ लिखी थी जिसमे उनको क्यों जला रहा
क्यूँ तस्वीरें जो थी गढ़ी वो तस्वीरें नहीं रहीं
क्यूँ रंगों से मैं बेवजह यूँ ही कहीं हूँ भागता 
कैसे कहूँ कैसे कहूँ कैसे कहूँ ये राज़ मैं
तुम्ही बताओ रहगुज़र मैं कैसे कह दूँ राज़ ये
वो पूछते हैं बेखबर कि क्यों हो तुम ख़फ़ा ख़फ़ा!!
😍 रतनाक्षर- रतनेश पाठक 😍

©रतनेश पाठक_ Protest Writer

वो पूछते हैं बेखबर कि क्यों हो तुम ख़फ़ा ख़फ़ा तुम्ही बताओ रहगुजर मैं कैसे कह दूँ राज़ ये क्या ज़ख़्म है मेरे ज़ेहन मे शूल सा ये क्या चुभे क्या आरज़ू है मेरे दिल की स्वप्न भी हैं क्या दबे क्यों ख्वाबों के सितारों को मैं खुद से ही छुपा रहा कैसे कहूँ कैसे कहूँ कैसे कहूँ ये राज़ मैं तुम्ही बताओ रहगुज़र मैं कैसे कह दूँ राज़ ये क्यों पन्नों पे लिखी स्याही खुद से ही मिटा रहा कहानियाँ लिखी थी जिसमे उनको क्यों जला रहा क्यूँ तस्वीरें जो थी गढ़ी वो तस्वीरें नहीं रहीं क्यूँ रंगों से मैं बेवजह यूँ ही कहीं हूँ भागता कैसे कहूँ कैसे कहूँ कैसे कहूँ ये राज़ मैं तुम्ही बताओ रहगुज़र मैं कैसे कह दूँ राज़ ये वो पूछते हैं बेखबर कि क्यों हो तुम ख़फ़ा ख़फ़ा!! 😍 रतनाक्षर- रतनेश पाठक 😍 ©रतनेश पाठक_ Protest Writer

13 Love

हमने बनाए थे रिश्ते कई भाई कई और बहने कई और बनाया था रिश्ता वो इक सबसे पवित्र सबसे ही नेक नाम दिया था उसको मैं क्या याद नहीं अब भूल गया भाई बना था दोस्त बना पीठ मे खंज़र उसने चुभा छुआ चरण को था ऐसे भला जैसे कि उसने था पुण्य करा देखा था मैंने तेरी रासलीला रात का वक़्त और आलिंगन पुरा आँखों को अपने भुलाऊं मैं कैसे तु ही बता खुद को समझाऊँ कैसे तेरी वजह से था टूट गया अपनों से ही था मैं रूठ गया रिश्तों को था मैं तो भूल गया अब रिश्ते बनाता ना भूल से भी लिखता कहानी ना फिर से तेरी चेहरा दिखा था और नज़रें मेरी थम सी गई थी और यादें बही शूलों से टपकी है रक्त मेरी रक्त ने लिख दी कहानी तेरी वर्ना तो भुला था यारी तेरी रक्त ने लिख दी कहानी तेरी वर्ना तो भुला था यारी तेरी!! सुरत देख के ना कभी तुम एतबार करना सिरत आज़माना फिर कहीं तुम प्यार करना यहाँ समझने वाले कम दिल तोड़ने वाले बतेरे हैं चरण छू कर चरण खीचने वाले बतेरे हैं! 🙂 रतनाक्षर 🙂 ©रतनेश पाठक_ Protest Writer

#कविता #Relationship #Friendship #nojohindi #poem  हमने बनाए थे रिश्ते कई भाई कई और बहने कई
और बनाया था रिश्ता वो इक सबसे पवित्र सबसे ही नेक
नाम दिया था उसको मैं क्या याद नहीं अब भूल गया
भाई बना था दोस्त बना पीठ मे खंज़र उसने चुभा
छुआ चरण को था ऐसे भला जैसे कि उसने था पुण्य करा
देखा था मैंने तेरी रासलीला रात का वक़्त और आलिंगन पुरा
आँखों को अपने भुलाऊं मैं कैसे तु ही बता खुद को समझाऊँ कैसे
तेरी वजह से था टूट गया अपनों से ही था मैं रूठ गया
रिश्तों को था मैं तो भूल गया अब रिश्ते बनाता ना भूल से भी
लिखता कहानी ना फिर से तेरी चेहरा दिखा था और नज़रें मेरी
थम सी गई थी और यादें बही शूलों से टपकी है रक्त मेरी 
रक्त ने लिख दी कहानी तेरी वर्ना तो भुला था यारी तेरी
रक्त ने लिख दी कहानी तेरी वर्ना तो भुला था यारी तेरी!! 

सुरत देख के ना कभी तुम एतबार करना 
सिरत आज़माना फिर कहीं तुम प्यार करना
यहाँ समझने वाले कम दिल तोड़ने वाले बतेरे हैं
चरण छू कर चरण खीचने वाले बतेरे हैं!
🙂 रतनाक्षर 🙂

©रतनेश पाठक_ Protest Writer

तुझपे भी कोई गीत मैं लिख दूँ कैसी है तू मीत ये लिख दूँ पर लिखने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ या इश्क़ मुझे ना हो जाए तेरी काले लम्बे केषु की और नशीली नयनों की तेरी मस्त मस्त सी आँखों पर हया समेटी पलकों की तेरी भाल पे सजती बिंदी की और रसीली होठों की तेरे कोमल कोमल गालों की और मनमोहक सी सूरत की देख जिसे मन मोह जाए और इश्क़ हृदय मे जग जाए मैं उसका वर्णन कर जाऊँ तेरा ही चित्रण कर जाऊँ पर करने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ कहीं इश्क़ मुझे ना हो जाए तेरी कान मे सजती कुंडल की, पैरों मे छनकती पायल की तेरी नाक मे सजती नाथीया की, हाथों मे खनकते कंगन की तेरी बदन सजती काली तिल और उनसे बनते गहने की देख जिसे मन मोह जाए और इश्क़ हृदय मे जग जाए मैं उसका वर्णन कर जाऊँ तेरा ही चित्रण कर जाऊँ पर करने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ कहीं इश्क़ मुझे ना हो जाए तेरी प्यारी प्यारी बातों की और भाषाई संबोधन की तेरे हृदय के अंदर हलचल की और कदर मेरे उस बंधन की तेरी समझ लिए उन ख्वाबों की और ख्वाबों मे आलिंगन की तेरे अंतर्मन की चाहत की और अधूरे सपनों की पल पल मे होती मृत्यु की और खामोशी से सहने की पर दोष मुझे ना देने की हाँ छुप कर नैन भिगोने की हर इक का वर्णन कर जाऊँ तेरा ही चित्रण कर जाऊँ पर करने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ कहीं इश्क़ मुझे ना हो जाए तुझपे भी कोई गीत मैं लिख दूँ कैसी है तू मीत ये लिख दूँ पर लिखने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ या इश्क़ मुझे ना हो जाए ©रतनेश पाठक_ Protest Writer

#कविता #FindingOneself #nojotohindi #poem  तुझपे भी कोई गीत मैं लिख दूँ कैसी है तू मीत ये लिख दूँ
पर लिखने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ या इश्क़ मुझे ना हो जाए
तेरी काले लम्बे केषु की और नशीली नयनों की
तेरी मस्त मस्त सी आँखों पर हया समेटी पलकों की 
तेरी भाल पे सजती बिंदी की और रसीली होठों की 
तेरे कोमल कोमल गालों की और मनमोहक सी सूरत की
देख जिसे मन मोह जाए और इश्क़ हृदय मे जग जाए
मैं उसका वर्णन कर जाऊँ तेरा ही चित्रण कर जाऊँ 
पर करने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ कहीं इश्क़ मुझे ना हो जाए 
तेरी कान मे सजती कुंडल की, पैरों मे छनकती पायल की
तेरी नाक मे सजती नाथीया की, हाथों मे खनकते कंगन की
तेरी बदन सजती काली तिल और उनसे बनते गहने की
देख जिसे मन मोह जाए और इश्क़ हृदय मे जग जाए
मैं उसका वर्णन कर जाऊँ तेरा ही चित्रण कर जाऊँ 
पर करने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ कहीं इश्क़ मुझे ना हो जाए
तेरी प्यारी प्यारी बातों की और भाषाई संबोधन की
तेरे हृदय के अंदर हलचल की और कदर मेरे उस बंधन की
तेरी समझ लिए उन ख्वाबों की और ख्वाबों मे आलिंगन की 
तेरे अंतर्मन की चाहत की और अधूरे सपनों की
पल पल मे होती मृत्यु की और खामोशी से सहने की
पर दोष मुझे ना देने की हाँ छुप कर नैन भिगोने की
हर इक का वर्णन कर जाऊँ तेरा ही चित्रण कर जाऊँ 
पर करने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ कहीं इश्क़ मुझे ना हो जाए
तुझपे भी कोई गीत मैं लिख दूँ कैसी है तू मीत ये लिख दूँ
पर लिखने से मैं डरता हूँ या यूँ कह दूँ कि बचता हूँ
कहीं बंधन मे ना पड़ जाऊँ या इश्क़ मुझे ना हो जाए

©रतनेश पाठक_ Protest Writer

#FindingOneself #Love #Nojoto #nojotohindi #poem

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