वो पूछते हैं बेखबर कि क्यों हो तुम ख़फ़ा ख़फ़ा
तुम्ही बताओ रहगुजर मैं कैसे कह दूँ राज़ ये
क्या ज़ख़्म है मेरे ज़ेहन मे शूल सा ये क्या चुभे
क्या आरज़ू है मेरे दिल की स्वप्न भी हैं क्या दबे
क्यों ख्वाबों के सितारों को मैं खुद से ही छुपा रहा
कैसे कहूँ कैसे कहूँ कैसे कहूँ ये राज़ मैं
तुम्ही बताओ रहगुज़र मैं कैसे कह दूँ राज़ ये
क्यों पन्नों पे लिखी स्याही खुद से ही मिटा रहा
कहानियाँ लिखी थी जिसमे उनको क्यों जला रहा
क्यूँ तस्वीरें जो थी गढ़ी वो तस्वीरें नहीं रहीं
क्यूँ रंगों से मैं बेवजह यूँ ही कहीं हूँ भागता
कैसे कहूँ कैसे कहूँ कैसे कहूँ ये राज़ मैं
तुम्ही बताओ रहगुज़र मैं कैसे कह दूँ राज़ ये
वो पूछते हैं बेखबर कि क्यों हो तुम ख़फ़ा ख़फ़ा!!
😍 रतनाक्षर- रतनेश पाठक 😍
©रतनेश पाठक_ Protest Writer