बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला
सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला
सत्य अहिंसा पाठ पढ़ा के तुमने था जो ज्ञान दिया
हिंसा के अनुयायी बन हमने बस अपमान किया
जात धर्म के नाम पर तुमने अपना जो रुख रखा था
उस रुख के विपरीत देश को जात धर्म मे बाँट दिया
अरे हिन्दू मुस्लिम में भेद नही तुमने था ये पाठ पढ़ाया
पर मुल्लों और पंडित में जन जन को हमने बाँट दिया
हाँ बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला
सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला
जिस चाचा नेहरू को तूने जाने कितना सम्मान दिया
वो नेहरू गली मोहल्ले में अब जन की गाली खाते हैं
जिस लोकतंत्र का ख्वाब संजो के भारत का निर्माण किया
उस लोकतंत्र को देखो हमने भीड़तंत्र में बदल दिया
जिस संविधान की मूरत को संसद में था सबने पूजा
उसी संविधान के भक्षक को संसद की गद्दी दे डाला
अरे बापू तेरे उपवन को हमने तो बंज़र कर डाला
सींचा था खून पसीने से उसको तो पानी कर डाला
बापू मुझसे ये ना पूछो तेरी धरती कैसी है
जैसा तूने सोचा था बिल्कुल नहीं ये वैसी है
अब आतंकवादी मंत्री है और सैनिक देशद्रोही है
अब हत्यारों को फूल है मिलती और तिरंगा काया को
मंत्री भी हैं गले लगाते और बुलाते रैली में
अब अस्मत की भी मोल नहीं हाँ धर्म मे तौले जाते हैं
हिन्दू या मुस्लिम पीड़ित है ये देख के पक्ष में आते हैं
अब बापू तेरे हत्यारे भी देशभक्त कहलाते हैं
और साथ दिया था जिसने तेरा देशद्रोही कहलाते हैं
हाँ बापू कुछ ऐसी सूरत तेरी धरती की अब है
जिसको तूने सिंचा था वो बंजर बन अब बैठी है
अच्छा है तू नहीं है बापू पल पल छन छन मार जाता
काया को तो छोड़ दो बापू रूह भी जलाया जाता
तेरी लाठी तेरे सर मार के खुश हो लेते वो
और मूक बधिर ये पत्रकार फिर दोषी तुझको कह देते..
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👆 मेरी कलम कुछ कहती है👆
☺️ रतनेश पाठक ☺️
©रतनेश पाठक_ Protest Writer
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