Yashpal singh gusain badal'

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अपने अंतर्मन में झांको ! बहुत नाप चुके औरों को अब खुद को भी नापो !

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White "सही वक्त" मैं कभी सही वक़्त पर बोलूंगा , जब मेरा वक़्त होगा, अभी बोलूंगा तो तुम कहोगे , क्या बकवास करते हो  ? मैं बेवजह उस पार नहीं जाऊंगा, लोग पूछेंगे कौन हो ,क्यों आये हो ? मैं वहां उस वक़्त पर जाऊँगा, जब लोग मुझसे पूछेंगे, अभी तक क्यों नही आये ? मैं अपने दुखड़ा नहीं रोऊंगा , किसी के भी सामने ! वर्ना लोग बोलेंगे , रोना इसकी आदत है ! मुझे चुप रहना है तब तक, जब तक मेरी एक छींक पर भी लोग पूछें ! आप ठीक तो हैं न ! ©Yashpal singh gusain badal'

#कविता #good_night  White           "सही वक्त"
मैं कभी सही वक़्त पर बोलूंगा ,

जब मेरा वक़्त होगा,

अभी बोलूंगा तो तुम कहोगे ,

क्या बकवास करते हो  ?


मैं बेवजह उस पार नहीं जाऊंगा,

लोग पूछेंगे कौन हो ,क्यों आये हो ?

मैं वहां उस वक़्त पर जाऊँगा,

जब लोग मुझसे पूछेंगे,

अभी तक क्यों नही आये ?


मैं अपने दुखड़ा नहीं रोऊंगा ,

किसी के भी सामने !

वर्ना लोग बोलेंगे , रोना इसकी आदत है !

मुझे चुप रहना है तब तक,

जब तक मेरी एक छींक पर भी लोग पूछें !

आप ठीक तो हैं न !

©Yashpal singh gusain badal'

#good_night सही वक़्त

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#शायरी #love_shayari  White  बहुत आसान है किसी को  सिर पे बिठा देना ,

मुश्किल  बस इतनी है फिर उतरता नहीं कोई ।
यशपालसिंह बादल

©Yashpal singh gusain badal'

#love_shayari

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#कविता #retro  ज़िंदगी
हसरतों  को  वक्त  की  आँधी  निगल  गई ।
इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई।

लाखों  जुगत    किए   उम्र-ए-दराज  की ।
दम साध के रक्खा और सांसें निकल गई ।

सौंपे थे जिसको हमने जिन्दगी के फैसले ।
उसके ही हाथ कत्ल जिन्दगी निकल गई ।

आब-ए-हयात पी के भी न बच सका यहाँ ।
माटी का बना था  सो  माटी  में मिल  गई ।

नाज है किस बात का किसका गुरूर है ।
अच्छे-अच्छों  की यहाँ हवा  निकल गई ।

थामे थे जिसको भींच के दिल के करीब से ।
हाथों  से  वो  प्यार  की  डोरी  फिसल  गई ।

"बादल" गलत उठे थे कदम  राह-ए-शौक में,
फिर सँभालते-संभालते जिन्दगी निकल गई।।

©Yashpal singh gusain badal'

#retro ज़िंदगी हसरतों  को  वक्त  की  आँधी  निगल  गई । इक खुशी की आश में; जिन्दगी निकल गई। लाखों  जुगत    किए   उम्र-ए-दराज  की । दम साध के रक्खा और सांसें निकल गई । सौंपे थे जिसको हमने जिन्दगी के फैसले ।

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#कविता #Holi  होली
रंग ही तो जीवन का दर्शन हैं ,
रंग ही जीवन का स्वभाव है,
हर रंग कुछ कहता है,
बिना रंगों के जीवन कितना मुश्किल है ?
कभी कल्पना करो !
हजारों रंग हैं जिंदगी के !
 रंग व्यक्त करते हैं अपने उद्गार !
रंगों को समझ लें अगर हम,
तो समझना आसान हो जाता है जिंदगी को !
मनुष्य रंगों के मिश्रण से बना है शायद !
रंग ही तो प्रकृति दर्शन है ।
 बिना रंगो के , अकल्पनीय है जीवन !
हर तरफ रंग बिखरे हैं ,
प्यार के रंग,भावनाओं के रंग,
उल्लास के रंग,अवसाद के रंग,
बिरह के रंग,उम्मीदों के रंग
भक्ति के रंग,श्रद्धा के रंग ,
रंगों से विमुखता ही तो अंधकार है !
रंग ही सुंदरता हैं ,
रंग ही सत्य है ,
रंगों से परिपूर्णता ही तो है समृद्धि !
 रंग ही परिवर्तन हैं 
कभी वसंत की तरह ,
कभी पतझड़ की तरह,
रंग  विस्मययुक्त हैं अनंत की तरह,
रंग ही जीवन को बनाते हैं जीवंत,आकर्षक,
जीवन को उद्देलित करते हैं रंग ,
रंग ही तो पहचान हैं सत, रज, तम के !
रंग ही जीवन है ,
चलो ! रंगों के साथ शामिल कर दें
अपने मन को भी !
चलो होली मनायें !
सदा हंसें !सदा मुस्कराएं !
चलो होली मनाएं !


रचना- यशपाल सिंह "बादल "

©Yashpal singh gusain badal'

#Holi होली

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#क्या तुम वही हो क्या तुम उसी दौर में हो ? वही पुरानी जिद्दोजहद, उसी पुरानी ठौर में हो ! यकीन करो, बहुत कुछ बदल गया है, समंदर का बहुत सारा पानी भाप बनकर छन गया है, नदियों ने भी कई किनारे बदल लिए, कई शहर भी परतों के नीचे गुम हो गईं, मगर तुम हो कि बदलते नहीं ! तुम भी एक नया सूरज उगाओ ! क्यों तुम उसी पुरानी भोर में हो ? नए विचार उगाओ ! क्यों उसी दौर में हो ! अब न कोई कयामत है न कोई जन्नत,न जहन्नुम है, जो जीते जी मिल गया , स्वर्ग है वही, नर्क है वही, कल में नहीं आज में जी ! बदलती दुनियां की घुट्टी पी! अब नूतन विचारों की नई भोर है, नया कलरव है, नया रोर है, नई दुनियां है, नया ठौर है। ©Yashpal singh gusain badal'

#कविता #क्या #arabianhorse  #क्या तुम वही हो
क्या तुम उसी दौर में हो ?
वही पुरानी जिद्दोजहद, उसी पुरानी ठौर में हो !
यकीन करो, बहुत कुछ बदल गया है,
समंदर का बहुत सारा पानी भाप बनकर छन गया है,
नदियों ने भी कई किनारे बदल लिए,
कई शहर भी परतों के नीचे गुम हो गईं,
मगर तुम हो कि बदलते नहीं !
तुम भी एक नया सूरज उगाओ !
क्यों तुम उसी पुरानी भोर में हो ?
नए विचार उगाओ !
क्यों उसी दौर में हो !
अब न कोई कयामत है
न कोई जन्नत,न जहन्नुम है,
जो जीते जी मिल गया ,
स्वर्ग है वही,
नर्क है वही,
कल में नहीं आज में जी !
बदलती दुनियां की घुट्टी पी!
अब नूतन विचारों की नई भोर है,
नया कलरव है, नया रोर है,
नई दुनियां है, नया  ठौर है।

©Yashpal singh gusain badal'

#arabianhorse

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असल किरदार इतिहास लिखते हैं, झूठे किरदार तो झूठ पर पलते हैं , जमाना मगर कहाँ हक़ीक़त जानता है ? अंधों का शहर है ,जहाँ आईने बिकते हैं । यशपाल सिंह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal'

#शायरी #Hum  असल   किरदार  इतिहास   लिखते   हैं,

झूठे    किरदार  तो  झूठ  पर  पलते   हैं ,

जमाना मगर कहाँ हक़ीक़त जानता है ?

अंधों का शहर है ,जहाँ आईने बिकते हैं ।

यशपाल सिंह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal'

#Hum असल किरदार इतिहास लिखते हैं, झूठे किरदार तो झूठ पर पलते हैं , जमाना मगर कहाँ हक़ीक़त जानता है ? अंधों का शहर है ,जहाँ आईने बिकते हैं ।

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