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रचनाकार & कवि अरुण चक्रवर्ती इलेक्ट्रिकल इंजीनियर
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White शीर्षक- बहन भाई के भाल का ताज है बहन घर के आँगन की रंगोली होती है इक बहन ही भाई की हमजोली होती है बहन के बिना घर की हर रस्में अधूरीं हैं बहन बिना त्यौहारों की खुशियाँ अधूरीं हैं बहन न हो घर की दहलीज सूनी रहती है बहन बिना भाई की कलाई सूनी रहती है हे ईश्वर हर घर में एक बेटी जरूर देना न रहे बिन बहन के भाई,बहन जरूर देना बहन भाई की राखी,भाल का साज है बहन ,बेटी ही सदैव परिवार का ताज है कवि अरुण चक्रवर्ती कन्नौज ©Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777
Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777
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शीर्षक- बहन भाई के भाल का साज है बहन घर के आँगन की रंगोली होती है इक बहन ही भाई की हमजोली होती है बहन के बिना घर की हर रस्में अधूरीं हैं बहन बिना त्यौहारों की खुशियाँ अधूरीं हैं बहन के बिना घर की दहलीज सूनी है बहन न हो तो भाई की कलाई सूनी है हे ईश्वर हर घर में एक बेटी जरूर देना रहे न बिन बहन के भाई,बहन जरूर देना बहन भाई की राखी ,भाल का साज है बहन ही सदा भाई की शान का ताज है रचनाकार कवि अरुण चक्रवर्ती ©Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777
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हे खुदा मुझे उसका साथ दिया-वाती सा चाहिये जब-जब दिवाली आये एक साथ मिलकर जलूँ कवि अरुण चक्रवर्ती गुरसहायगंज दीपावली की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ©Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777
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