***""मेरी जिंदगी *****
तुम मेरी जिंदगी का हाल समझ पाओगे?
मेरी उलझन, मेरा कौतुहल, मेरी झिझक,
मेरा प्रेम, मेरी तड़प, मेरा त्याग, मेरा उद्गार,
जिंदगी के कशमकश में उभरे सवाल समझ पाओगे?
तुम मेरी जिंदगी का हाल समझ पाओगे?
क्यो हँसती हूँ मै बेवजह,
क्यो हँसते हँसते आँखे भर आती हैं,
क्यो छुपाती हूँ मै आंसुओं को पलकों में ,
क्यों गम के गीत गुनगुनाते हैं लव मेरे
उसके सुर ताल समझ पाओगे?
तुम मेरी जिंदगी का हाल समझ पाओगे?
क्यो उम्मीद मे किसी के मै बेमौत मारी जाती हूँ,
देवी कभी,लक्ष्मी कभी,कभी कुलक्षणी हो जाती हूँ,
सबके होते हुए भी मै परायी ही कहलाती हूँ,
मेरे हाल पर जग मुस्कुराता है ,
तुम भी तो नही मुस्कराआगे?
थामा है हाथ मेरा तो उम्रभर साथ निभाओगे?
तुम मेरी जिंदगी का हाल सम पाओगे?
©Chitra Gupta
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