श्री राम से क्या सीखते हैं आप? #NojotoTopicalHin
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#जयश्रीराम  जय श्री राम 🙏

सदियों का वनवास कटेगा राम अयोध्या आएंगे,
जनकनंदनी संग लखन हनुमान अयोध्या आएंगे।
बाग,बगीचे,उपवन सारे भाग्य पर अपने इतराएंगे,
 कुछ फूल सजेंगे चरणो मे कुछ कंठहार बन जाएंगे।

जिन चरणो के स्पर्श मात्र से पाप भीसभी कट जाते है,
उन चरणों की रजधूली से भारत का भाग्य जगाएंगे।
राग द्वेष से कुलुषित मन का न कोई ठौर ठिकाना होगा, 
हर मन में प्रेम का ज्योत जलेगा सब रावण मारे जाएंगे।

युग बदलेगा रामराज्य में धर्म का फिर शासन होगा, 
हर चीर1 सुरक्षित होगा फिर ना कोई दुशासन होगा, 
समय का पहिया घुमेगा  सब   वचन निभाए जाएंगे,
 गांठें मन की खुल जाएंगी सब संबंधो के गुण गाएंगे। 

सदियों का वनवास कटेगा राम अयोध्या आएगे,
जनकनंदनी संग लखन हनुमान अयोध्या आएंगे।।

©Chitra Gupta
#न्यूज़          राम  आये ।

तन झूमे  ,मन गाये , 
देखो राजा राम आये  ।

बादलों को भी है आस वरस जाने की ,
धरती को भी प्यास संवर जाने की ।
गंगा , यमुना , की कलकल धारा ,
जिन्होने कितनों है तारा ।
राममय होके गायें ,
देखो राजा राम आये ।

अयोध्या के भाग कितने अजब हैं ,
किस्से रामजी के कितने गजब है।
 सरयू  जी के पावन तट पर 
 तुलसीदास ध्यान लगाये .
 मिलने को देखो , राजा राम आये।
                                         
                                                          - वैभव पान्डेय

©Vaibhav Pandey

राम आये । तन झूमे ,मन गाये , देखो राजा राम आये । बादलों को भी है आस वरस जाने की , धरती को भी प्यास संवर जाने की । गंगा , यमुना , की कलकल धारा , जिन्होने कितनों है तारा । राममय होके गायें , देखो राजा राम आये । अयोध्या के भाग कितने अजब हैं , किस्से रामजी के कितने गजब है। सरयू जी के पावन तट पर तुलसीदास ध्यान लगाये . मिलने को देखो , राजा राम आये। - वैभव पान्डेय ©Vaibhav Pandey

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गीत :- यहाँ श्री राम स्वागत में सुनों हनुमान आये हैं । सुना है और ये हमने विभीषण साथ आये हैं ।। यहाँ श्री राम स्वागत में .... बजाकर ढोल अब हम तो खुशी के गीत गायेंगे । चरण उनके जिधर भी हो उधर हम सिर झुकायेंगे । खुशी की यह लहर ऐसी बताएं क्या तुम्हें अब हम । अयोध्या को सजाने तो यहाँ नल नील आये हैं ।। यहाँ श्री राम स्वागत में.... बुहारू राह मैं अब तो जिधर से राम जी गुजरे । करेंगे मिल सभी वंदन बिछाऐ आज हम नजरे ।। चरण उनके पखारूँ मैं यही अरमान दिल में है । दिवस वो आ रहा देखो जिसे मन में बसाये हैं यहाँ श्री राम स्वागत में .. अयोध्या हो गई दुल्हन खबर प्रभु राम की पाकर । नहीं तुमने सजी देखी अयोध्या आज तो जाकर ।। वही के आप फिर होगे झलक उसकी सुनों पाकर । वही से राम जी सबके सुनों दिल में समाये हैं ।। यहाँ श्री राम स्वागत में सुनों हनुमान आये हैं । सुना है और ये हमने विभीषण साथ आये हैं ।। ०६/०१/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
यहाँ श्री राम स्वागत में सुनों हनुमान आये हैं ।
सुना है और ये हमने विभीषण साथ आये हैं ।।
यहाँ श्री राम स्वागत में ....

बजाकर ढोल अब हम तो खुशी के गीत गायेंगे ।
चरण उनके जिधर भी हो उधर हम सिर झुकायेंगे ।
खुशी की यह लहर ऐसी बताएं क्या तुम्हें अब हम ।
अयोध्या को सजाने तो यहाँ नल नील आये हैं ।।
यहाँ श्री राम स्वागत में....

बुहारू राह मैं अब तो जिधर से राम जी गुजरे ।
करेंगे मिल सभी वंदन बिछाऐ आज हम नजरे ।।
चरण उनके पखारूँ मैं यही अरमान दिल में है ।
दिवस वो आ रहा देखो जिसे मन में बसाये हैं 
यहाँ श्री राम स्वागत में ..

अयोध्या हो गई दुल्हन खबर प्रभु राम की पाकर ।
नहीं तुमने सजी देखी अयोध्या आज तो जाकर ।।
वही के आप फिर होगे  झलक उसकी सुनों पाकर ।
वही से राम जी सबके सुनों दिल में समाये हैं ।।

यहाँ श्री राम स्वागत में सुनों हनुमान आये हैं ।
सुना है और ये हमने विभीषण साथ आये हैं ।।

०६/०१/२०२३       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- यहाँ श्री राम स्वागत में सुनों हनुमान आये हैं । सुना है और ये हमने विभीषण साथ आये हैं ।। यहाँ श्री राम स्वागत में .... बजाकर ढोल अब हम तो खुशी के गीत गायेंगे । चरण उनके जिधर भी हो उधर हम सिर झुकायेंगे ।

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#कृपा  प्रभु हम पर कृपा बनाए रहो,बस आपसे ये मेरी अर्जी है।
हम अपना कर्म करेगें ही, बस आगे आपकी मर्जी है।।
जय श्री राम जय श्री कृष्णा

©दूध नाथ वरुण

#कृपा राम की

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–था, हूं, रहूंगा– ♾️ दफा.. जब–जब जनम मिले.. तब–तब को.. मैं.. गुलाम मालिक रहेंगे मेरे.. श्री .. श्री राम ©Insaan RTN

#ज़िन्दगी  –था, हूं, रहूंगा–

♾️ दफा..
जब–जब जनम मिले..
तब–तब को..
मैं..
गुलाम
 मालिक रहेंगे मेरे..

श्री
.. श्री राम

©Insaan RTN

–था, हूं, रहूंगा– ♾️ दफा.. जब–जब जनम मिले.. तब–तब को.. मैं.. गुलाम मालिक रहेंगे मेरे.. श्री .. श्री राम ©Insaan RTN

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#कविता  अश्रुस्नात थे नयन भरत के, 
थे गुंथित अति केश भरत के।
कृष-काया, नहिं प्राण शेष थे, 
भ्रातृ-प्रेम में रत श्री भरत थे।।
             -शैलेन्द्र राजपूत

©HINDI SAHITYA SAGAR

अश्रुस्नात थे नयन भरत के, थे गुंथित अति केश भरत के। कृष-काया, नहिं प्राण शेष थे, भ्रातृ-प्रेम में रत श्री भरत थे।। -शैलेन्द्र राजपूत ©HINDI SAHITYA SAGAR

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