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#कविता #hindi_diwas  White  करते हैं तन-मन से वंदन,
जन-गण-मन की अभिलाषा का
अभिनंदन अपनी संस्कृति का,
आराधन अपनी भाषा का।
यह अपनी शक्ति सर्जना के
माथे की है चंदन रोली
माँ के आँचल की छाया में
हमने जो सीखी है बोली
यह अपनी बँधी हुई अंजुरी 
ये अपने गंधित शब्द सुमन
यह पूजन अपनी संस्कृति का
यह अर्चन अपनी भाषा का।
रोहित








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#hindi_diwas

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White करते हैं तन-मन से वंदन, जन-गण-मन की अभिलाषा का अभिनंदन अपनी संस्कृति का, आराधन अपनी भाषा का। यह अपनी शक्ति सर्जना के माथे की है चंदन रोली माँ के आँचल की छाया में हमने जो सीखी है बोली यह अपनी बँधी हुई अंजुरी ये अपने गंधित शब्द सुमन यह पूजन अपनी संस्कृति का यह अर्चन अपनी भाषा का। ✍🏻रोहित . ©U P

#कविता #hindi_diwas  White करते हैं तन-मन से वंदन,
जन-गण-मन की अभिलाषा का
अभिनंदन अपनी संस्कृति का,
आराधन अपनी भाषा का।
यह अपनी शक्ति सर्जना के
माथे की है चंदन रोली
माँ के आँचल की छाया में
हमने जो सीखी है बोली
यह अपनी बँधी हुई अंजुरी 
ये अपने गंधित शब्द सुमन
यह पूजन अपनी संस्कृति का
यह अर्चन अपनी भाषा का।
✍🏻रोहित








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13 Love

Beautiful Moon Night अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बाद का है पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएँ कैसे लाख तलवारें बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ़ सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएँ कैसे क़हक़हा आँख का बरताव बदल देता है हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आएँ कैसे फूल से रंग जुदा होना कोई खेल नहीं अपनी मिट्टी को कहीं छोड़ के जाएँ कैसे कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा एक क़तरे को समुंदर नज़र आएँ कैसे जिस ने दानिस्ता किया हो नज़र-अंदाज़ 'यारों' उस को कुछ याद दिलाएँ तो दिलाएँ कैसे ©U P

#Life_A_Blank_Page #शायरी  Beautiful Moon Night अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे 
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे 
घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बाद का है 
पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएँ कैसे 
लाख तलवारें बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ़ 
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएँ कैसे 
क़हक़हा आँख का बरताव बदल देता है 
हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आएँ कैसे 
फूल से रंग जुदा होना कोई खेल नहीं 
अपनी मिट्टी को कहीं छोड़ के जाएँ कैसे 
कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा 
एक क़तरे को समुंदर नज़र आएँ कैसे 
जिस ने दानिस्ता किया हो नज़र-अंदाज़ 'यारों' 
उस को कुछ याद दिलाएँ तो दिलाएँ कैसे

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जिस गली में हमारी निगाहें मिलीं बेकली मिट गयी जब दुआयें मिलीं प्यार उपहार हासिल हुआ इश्क़ में साथ में ढेर सारी अदायें मिली हम खड़े हैं अभी तक उसी मोड़ पर तुम गये थे जहाँ पर हमें छोड़कर राह अनजान है प्यार नादान है किस जगह खो गये प्रीत को जोड़कर प्रेम पथ प्रीत का याद कर लो प्रिये जिस डगर में जिगर को सदायें मिलीं प्रेम सत्संग है जीव का अंग है मोह का रंग है मोद का संग है इस हृदय में पला हर कमल दल खिला प्रेम के रूप से सृष्टि भी दंग है बौर जब छा गया आम के पेड़ पर कूकती कोकिला को घटायें मिलीं मेघ की वृष्टि में राग मल्हार है गेह की दृष्टि में जाग मनुहार है प्रेम पूरक रही नेह की भूमिका देह की पृष्ठ में त्याग उपकार है छाँव सत्कार है मीत मधु प्रीत में तप्त तन को मलय गिरि हवायें मिलीं ©U P

#मोहब्बत #ज़िंदगी #प्यार #कविता #इश्क  जिस गली में हमारी निगाहें मिलीं
बेकली मिट गयी जब दुआयें मिलीं
प्यार उपहार हासिल हुआ इश्क़ में
साथ में ढेर सारी अदायें मिली
हम खड़े हैं अभी तक उसी मोड़ पर
तुम गये थे जहाँ पर हमें छोड़कर
राह अनजान है प्यार नादान है
किस जगह खो गये प्रीत को जोड़कर
प्रेम पथ प्रीत का याद कर लो प्रिये
जिस डगर में जिगर को सदायें मिलीं
प्रेम सत्संग है जीव का अंग है
मोह का रंग है मोद का संग है
इस हृदय में पला हर कमल दल खिला
प्रेम के रूप से सृष्टि भी दंग है
बौर जब छा गया आम के पेड़ पर
कूकती कोकिला को घटायें मिलीं
मेघ की वृष्टि में राग मल्हार है
गेह की दृष्टि में जाग मनुहार है
प्रेम पूरक रही नेह की भूमिका
देह की पृष्ठ में त्याग उपकार है
छाँव सत्कार है मीत मधु प्रीत में
तप्त तन को मलय गिरि हवायें मिलीं

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वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्। जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥ गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम। धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥ परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन। पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥ ©U P

#विचार #navratri  वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
 
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
 
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

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#navratri

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Blue Moon मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन ज़ंजीरें हैं आज और कल की बात नहीं है सदियों की तारीख़ यही है हर आँगन में ख़्वाब हैं लेकिन चंद घरों में ताबीरें हैं जब भी कोई तख़्त सजा है मेरा तेरा ख़ून बहा है दरबारों की शान-ओ-शौकत मैदानों की शमशीरें हैं हर जंगल की एक कहानी वो ही भेंट वही क़ुर्बानी गूँगी बहरी सारी भेड़ें चरवाहों की जागीरें है। ©U P

#शायरी  Blue Moon मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं 
जुदा जुदा हैं धर्म इलाक़े एक सी लेकिन ज़ंजीरें हैं 
आज और कल की बात नहीं है सदियों की तारीख़ यही है 
हर आँगन में ख़्वाब हैं लेकिन चंद घरों में ताबीरें हैं 
जब भी कोई तख़्त सजा है मेरा तेरा ख़ून बहा है 
दरबारों की शान-ओ-शौकत मैदानों की शमशीरें हैं 
हर जंगल की एक कहानी वो ही भेंट वही क़ुर्बानी 
गूँगी बहरी सारी भेड़ें चरवाहों की जागीरें है।

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