White करते हैं तन-मन से वंदन,
जन-गण-मन की अभिलाषा का
अभिनंदन अपनी संस्कृति का,
आराधन अपनी भाषा का।
यह अपनी शक्ति सर्जना के
माथे की है चंदन रोली
माँ के आँचल की छाया में
हमने जो सीखी है बोली
यह अपनी बँधी हुई अंजुरी
ये अपने गंधित शब्द सुमन
यह पूजन अपनी संस्कृति का
यह अर्चन अपनी भाषा का।
✍🏻रोहित
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©U P
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