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अब काट कर के जंगल शहर बना रहे हैं, उसमे बसने वाले जानों को तबाह सा कर रहे हैं। वो जानवर प्यारे से रोते हैं -मचलते हैं — दिन रात ताड़पते हैं, कहते है वो रो-रो कर :- काटो न इसे ऐसे -ये घर हमारा है उजाड़ो न इसे ऐसे । जो कहलाता था इंसान वो कितना बदल गया है, इन जानवरों से ज्यादा खूंखार हो गया है । ये देख कर खुदा भी कहते होंगे खुद से इंसान बनाया था- जानवर ये बन गया है....... ये देख ले इंसान तु कितना बदल गया है ।। ©utkarsh
utkarsh
8 Love
"एक लड़का बड़ा होगया मुसीबतों की आड़ में, उसे समझदार बना दिया -जिम्मेदारियों के पहाड़ ने । उसका बचपना भी छीन गया इस मतलबी जहान में , एक लड़का बड़ा होगया मुसीबतों की आड़ में " ।। © utkarsh
नजर भी उसकी कमाल थी, जो देखा तो -मैं देखता रह गया ..... और बहारें-कश में - था नशा इस क़दर, जो पिया तो मैं , होश में आता रह गया...।। लोग परेशान थे-मुझे हुआ है क्या, और एक मैं था जो मुहब्बत के गीत -गाता रहा गया ।। © utkarsh
तेरे दीदार की तड़प मुझे यू खीच लाई है...... खड़ा था मै साहिल पर... दरिया में खींच लाई है।। मुसीबत लाख ज़माने की है सामने मेरे फिर भी लेके हसरतें - दिल की तेरे पास आया हूँ मै तालिब तेरे दीदार का... तेरे दीदार को आया हूँ।।...... © utkarsh
11 Love
ना जाने कोन सी खता हुई कि- हमसे रिश्ता तोड़ गए, उन अंधेरी गलियों में- वो हमको तन्हा छोड़ गए। पसंद नहीं थे हम उनको तो पहले ही बता देते....... क्यूँ बना कर अपना दीवाना - इस दिल से ऐसे खेल गए, उन अंधेरी गलियों में हमको तन्हा छोड़ गए ।। © utkarsh
10 Love
तलब दुनिया के मुहब्बत की- अब रह न गयी सीने में,. अब मुहब्बत मुझे मेरे रब से करना है। और मंज़िल की तलाश में निकल पड़ा है मुसाफिर -बुलंद मकाम हासिल कर के ही दम भरना है।। © utkarsh
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