तलब दुनिया के मुहब्बत की- अब रह न गयी सीने में,. अ | हिंदी विचार

"तलब दुनिया के मुहब्बत की- अब रह न गयी सीने में,. अब मुहब्बत मुझे मेरे रब से करना है। और मंज़िल की तलाश में निकल पड़ा है मुसाफिर -बुलंद मकाम हासिल कर के ही दम भरना है।। © utkarsh"

 तलब दुनिया के मुहब्बत की-
अब रह न गयी सीने में,.
अब मुहब्बत
 मुझे मेरे रब से करना है।
और मंज़िल की तलाश में
 निकल पड़ा है मुसाफिर
-बुलंद मकाम हासिल कर के
 ही दम भरना है।।

© utkarsh

तलब दुनिया के मुहब्बत की- अब रह न गयी सीने में,. अब मुहब्बत मुझे मेरे रब से करना है। और मंज़िल की तलाश में निकल पड़ा है मुसाफिर -बुलंद मकाम हासिल कर के ही दम भरना है।। © utkarsh

#lovewithgod

#nightthoughts

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