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writer and student
udaysain322201@gmail.com
Uday Singh
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स्वयं में आत्मसात होकर किसी का दर्द तो किसी की खुशी कोरे कागज़ पर जिवित कर जाती है जिसे पढ़ गैर का दर्द ,खुशी अपनी सी लगे गम खुशी दर्द मे भी अपनेपन का अहसास दे जाती है इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है ©Uday Singh
17 Love
सांझ निशा और या फिर दोपहर हो हम से पुछो शायद तुम्हें पता नहीं काले लिबास में तुम लगते जहर हो ©Uday Singh
12 Love
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