सांझ निशा और या फिर दोपहर हो हम से पुछो शायद तुम् | हिंदी Shayari

"सांझ निशा और या फिर दोपहर हो हम से पुछो शायद तुम्हें पता नहीं काले लिबास में तुम लगते जहर हो ©Uday Singh"

 सांझ निशा और या फिर दोपहर हो 
हम से पुछो शायद तुम्हें पता नहीं
काले लिबास में तुम लगते जहर हो

©Uday Singh

सांझ निशा और या फिर दोपहर हो हम से पुछो शायद तुम्हें पता नहीं काले लिबास में तुम लगते जहर हो ©Uday Singh

tum lagte jahar ho

#ValentinesDay

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