Umang Agrawal

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White जो जीत गए वो अच्छे हैं, पर हार गए जो उनका क्या? इस रण में अपना तन- मन- श्रम, हैं वार गए जो उनका क्या? जीवन भी कठिन पहेली है, संघर्ष सभी को सिखलाती, जब आती है फल देने को, तो एक- एक से इठलाती। दोनों दल सबल हैं, सक्षम हैं, अंतिम पड़ाव तक आए जो, फिर नियति चक्र के मध्य फंसा, कोई कर्ण- सा मारा जाए तो? वह छात्र जो बस दो अंकों से, निज स्वप्न से दूर हो जाता है, या वह जो नियति की फांसी में, स्वग्रिव कसा हुआ पाता है। हैं सभी विजेता जिसने भी संघर्ष को गले लगाया है, अंतिम क्षण तक अपने पथ पर हर वीर जो लड़ता आया है। दुनिया वालों! हर योद्धा का, लगा विजय तिलक सम्मान करो, करने को कर्म करो प्रेरित, मत जीत हार पर मान करो। पर्वत पर चढ़ने वालों ने, दुनिया में उन्नत नाम किया, उन शिखरों से टकरा मृत्यु स्वीकार गए जो उनका क्या? पर हार गए जो उनका क्या? ©Umang Agrawal

#कविता  White जो जीत गए वो अच्छे हैं, पर हार गए जो उनका क्या?
इस रण में अपना तन- मन- श्रम, हैं वार गए जो उनका क्या?

जीवन भी कठिन पहेली है, संघर्ष सभी को सिखलाती,
जब आती है फल देने को, तो एक- एक से इठलाती।
दोनों दल सबल हैं, सक्षम हैं, अंतिम पड़ाव तक आए जो,
फिर नियति चक्र के मध्य फंसा, कोई कर्ण- सा मारा जाए तो?

वह छात्र जो बस दो अंकों से, निज स्वप्न से दूर हो जाता है,
या वह जो नियति की फांसी में, स्वग्रिव कसा हुआ पाता है।
हैं सभी विजेता जिसने भी संघर्ष को गले लगाया है,
अंतिम क्षण तक अपने पथ पर हर वीर जो लड़ता आया है।

दुनिया वालों! हर योद्धा का, लगा विजय तिलक सम्मान करो,
करने को कर्म करो प्रेरित, मत जीत हार पर मान करो।
पर्वत पर चढ़ने वालों ने, दुनिया में उन्नत नाम किया,
उन शिखरों से टकरा मृत्यु स्वीकार गए जो उनका क्या?
पर हार गए जो उनका क्या?

©Umang Agrawal

पर हार गए जो उनका क्या? @life @umangagrawal @poetry @hindi @win @loss @motivation

9 Love

क्यों व्याकुल करते, याद दिलाते हो वो बातें जब भूल चुका हूं प्रेम जताती सारी रातें जब भूल चुका मैं उन गालों की अरुणाई को भूल चुका हूं उसकी वो मनमोहक आखें ग्रीष्म ऋतु में जलते तृण पर, छांव ना होगी उन वृक्षों से कैसे ठंडक दे पाएंगी वर्षों पहले की बरसातें  एक बार मिलने की हसरत, एक बार दर्शन की तमन्ना एक बार वो याद करे तो बिसरा दूं मैं अपनी यादें आओ तुम संग बैठो मेरे, शांत निशि में चांद तले  सांसों को मद्धम कर अपनी, तुम्हें सुनाऊं उसकी बातें ©Umang Agrawal

#शायरी #umangagrawal #br💔ken #Memories #Night  क्यों व्याकुल करते, याद दिलाते हो वो बातें
जब भूल चुका हूं प्रेम जताती सारी रातें

जब भूल चुका मैं उन गालों की अरुणाई को
भूल चुका हूं उसकी वो मनमोहक आखें

ग्रीष्म ऋतु में जलते तृण पर, छांव ना होगी उन वृक्षों से
कैसे ठंडक दे पाएंगी वर्षों पहले की बरसातें 

एक बार मिलने की हसरत, एक बार दर्शन की तमन्ना
एक बार वो याद करे तो बिसरा दूं मैं अपनी यादें

आओ तुम संग बैठो मेरे, शांत निशि में चांद तले 
सांसों को मद्धम कर अपनी, तुम्हें सुनाऊं उसकी बातें

©Umang Agrawal

मैं आज फिर बैठा तुम्हारी याद को ले साथ में चांद, तारे, रात, छत और खत लिए कुछ साथ में आज फिर एक ज्वार यादों का हिलोरें भर गया फिर वही कणिकाएं कुछ दृग से टपककर हाथ में इक खत जो मैंने तब लिखा, जब तुम थे मेरे साथ में इक खत जो अब मैं लिख रहा, जब तुम हो मेरी याद में इक खत जो तुमतक पहुंच कर भी लौट आया था कभी इक खत जो देने की तमन्ना है तुम्हे, पर बाद में मत खोलना तुम खत मेरे, तुम रो पड़ो, डर है मुझे आंसू नहीं मुस्कान भेजा है तुम्हे सौगात में हो साथ तेरे कर रहा फिर से पुरानी बात मैं चांद, तारे, रात, छत, तेरा हाथ मेरे हाथ में ©Umang Agrawal

#कविता #umangagrawal #Missing #Night #Stars  मैं आज फिर बैठा तुम्हारी याद को ले साथ में
चांद, तारे, रात, छत और खत लिए कुछ साथ में

आज फिर एक ज्वार यादों का हिलोरें भर गया
फिर वही कणिकाएं कुछ दृग से टपककर हाथ में

इक खत जो मैंने तब लिखा, जब तुम थे मेरे साथ में
इक खत जो अब मैं लिख रहा, जब तुम हो मेरी याद में

इक खत जो तुमतक पहुंच कर भी लौट आया था कभी
इक खत जो देने की तमन्ना है तुम्हे, पर बाद में

मत खोलना तुम खत मेरे, तुम रो पड़ो, डर है मुझे
आंसू नहीं मुस्कान भेजा है तुम्हे सौगात में

हो साथ तेरे कर रहा फिर से पुरानी बात मैं
चांद, तारे, रात, छत, तेरा हाथ मेरे हाथ में

©Umang Agrawal

मैं कहीं दूर निकल जाने को था फिर यूं लगा कि वो आने को था मैंने उम्मीद सारी छोड़ रखी थी भूल गया कि कोई बुलाने को था मेरी ग़ज़ल ने आंख भर दिए मेरे वही, जिसपे वो मुस्कुराने को था तमाम उम्र हूं मैं इंतज़ार में मशगूल किसी बहाने वो मिलने आने को था कर ली अमावस की स्याह रात से दोस्ती फिर यूं लगा कि चांद आने को था यही तो असली कमाई है मेरी मैं इसे कब भला गंवाने को था मैं कहीं दूर निकल जाने को था फिर यूं लगा कि वो आने को था ©Umang Agrawal

#शायरी #umangagrawal #Missing #waiting #Hindi  मैं कहीं दूर निकल जाने को था
फिर यूं लगा कि वो आने को था

मैंने उम्मीद सारी छोड़ रखी थी
भूल गया कि कोई बुलाने को था

मेरी ग़ज़ल ने आंख भर दिए मेरे
वही, जिसपे वो मुस्कुराने को था

तमाम उम्र हूं मैं इंतज़ार में मशगूल
किसी बहाने वो मिलने आने को था

कर ली अमावस की स्याह रात से दोस्ती
फिर यूं लगा कि चांद आने को था

यही तो असली कमाई है मेरी
मैं इसे कब भला गंवाने को था

मैं कहीं दूर निकल जाने को था
फिर यूं लगा कि वो आने को था

©Umang Agrawal

मैं कहीं दूर निकल जाने को था... #Love #Missing #waiting #gazal #poem #Hindi #umangagrawal #urdu

12 Love

हम तो शजर हैं, भला कैसे रोएं रात अंधेरी है, सूना शहर है, अकेला हूं मैं या ये अंतिम पहर है? पांवों को जकड़े जहां भर की बातें, कैसे दौड़ें, चलें कि तेरे पास होएं? हम तो शजर हैं, भला कैसे रोएं? यादें भी सब जैसे धुंधला गई हैं, जिद्दी हैं, दूर तब भी जा ना रही हैं, तेरा गीत अब भी हवा गा रही है, उषा तेरी तस्वीर दिखला रही है। बता कैसे इन सब से फ़ारिग़ होएं? हम तो शजर हैं, भला कैसे रोएं? तुम्हारी कमी और क्या क्या करेगी? मैं खाली हूं अंदर, कहां तक भरेगी? है रातों में कोई जो लोरी सुनाए? कांधे पर सुलाए, गले से लगाए? गोदी में सर रख के हम कैसे सोएं? हम तो शजर हैं, भला कैसे रोएं? ©Umang Agrawal

#कविता #umangagrawal #Silence #Missing #Broken  हम तो शजर हैं, भला कैसे रोएं

रात अंधेरी है, सूना शहर है,
अकेला हूं मैं या ये अंतिम पहर है?
पांवों को जकड़े जहां भर की बातें,
कैसे दौड़ें, चलें कि तेरे पास होएं?
हम तो शजर हैं, भला कैसे रोएं?

यादें भी सब जैसे धुंधला गई हैं,
जिद्दी हैं, दूर तब भी जा ना रही हैं,
तेरा गीत अब भी हवा गा रही है,
उषा तेरी तस्वीर दिखला रही है।
बता कैसे इन सब से फ़ारिग़ होएं?
हम तो शजर हैं, भला कैसे रोएं?

तुम्हारी कमी और क्या क्या करेगी?
मैं खाली हूं अंदर, कहां तक भरेगी?
है रातों में कोई जो लोरी सुनाए?
कांधे पर सुलाए, गले से लगाए?
गोदी में सर रख के हम कैसे सोएं?
हम तो शजर हैं, भला कैसे रोएं?

©Umang Agrawal

फिर से कर कोई बहाना चाहता हूं मैं तुझे अपना बनाना चाहता हूं आंखों में हैं जम गए जो अश्रु मेरे गोद में रख सर बहाना चाहता हूं कविताएं तुमपर लिखी और सो गया ख्वाब में, पर सब सुनाना चाहता हूं हिचकियां मुझको नहीं आती है, क्यों? बस एक घड़ी, पर याद आना चाहता हूं फिर सात पग और सात जन्मों तक मैं तेरा झूठा ही, मगर सपना सजाना चाहता हूं... ©Umang Agrawal

#शायरी #umangagrawal #waiting #Hindi #gazal  फिर से कर कोई बहाना चाहता हूं
मैं तुझे अपना बनाना चाहता हूं

आंखों में हैं जम गए जो अश्रु मेरे
गोद में रख सर बहाना चाहता हूं

कविताएं तुमपर लिखी और सो गया
ख्वाब में, पर सब सुनाना चाहता हूं

हिचकियां मुझको नहीं आती है, क्यों?
बस एक घड़ी, पर याद आना चाहता हूं

फिर सात पग और सात जन्मों तक मैं तेरा
झूठा ही, मगर सपना सजाना चाहता हूं...

©Umang Agrawal

मैं तुझे अपना बनाना चाहता हूं... #Love #waiting #Life #umangagrawal #poem #Hindi #gazal

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