आंखों के धोखे को सच्चा मान लिया,
अनजाने में देखो क्या क्या मान लिया।।
इतना कहकर उसका लगना हाय गले,
गुस्सा मत हो बाबा अच्छा मान लिया।।
Adarsh Srivastava!!
आंखों के धोखे को सच्चा मान लिया,
अनजाने में देखो क्या क्या मान लिया।।
इतना कहकर उसका लगना हाय गले,
गुस्सा मत हो बाबा अच्छा मान लिया।।
Adarsh Srivastava!!
9 Love
कितने मासूम दफ़्न हैं मुझमें,
मेरे अंदर है करबला कोई।।
Adarsh Srivastava
#OpenPoetry इश्क़ सर का ताज नही हो सकता,
गम का मेरे इलाज नही हो सकता।।
हमने पूछा आज हो सकता है क्या?
उसने बोला आज नही हो सकता।।
आदर्श श्रीवास्तव!!
31 Love
ख़ुदा का ज़ुल्म तो हमपे ये हुआ है,
तुम्हारा ज़ख्म तक सीना पड़ रहा है।।
तुम्हारे साथ ही मरने का था सोंचा।
तुम्हारे बाद भी जीना पड़ रहा है।।
आदर्श श्रीवास्तव!
ख़ुदा का ज़ुल्म तो हमपे ये हुआ है,
तुम्हारा ज़ख्म तक सीना पड़ रहा है।।
तुम्हारे साथ ही मरने का था सोंचा।
तुम्हारे बाद भी जीना पड़ रहा है।।
आदर्श श्रीवास्तव!
4 Love
क्यूँ बाब ए साझेदारी वा रखें हम।
अदावत का भी रिश्ता क्या रखें हम।।
आदर्श श्रीवास्तव!!
क्यूँ बाब ए साझेदारी वा रखें हम।
अदावत का भी रिश्ता क्या रखें हम।।
आदर्श श्रीवास्तव!!
2 Love
आंखों के धोखे को सच्चा मान लिया,
अनजाने में देखो क्या क्या मान लिया।।
इतना कहकर उसका लगना हाय गले,
गुस्सा मत हो बाबा अच्छा मान लिया।।
आदर्श श्रीवास्तव!!
आंखों के धोखे को सच्चा मान लिया,
अनजाने में देखो क्या क्या मान लिया।।
इतना कहकर उसका लगना हाय गले,
गुस्सा मत हो बाबा अच्छा मान लिया।।
आदर्श श्रीवास्तव!!
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