DK SAXENA

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भावों को जिंदा रहने शब्दों में नूर बरसेगा

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White तूफान आने पर "पैनल्टी" लगा दे सुनामी पर "उम्रकैद" बस नही चलता प्रकृति पर "सरकार" का वर्ना "साँसों" की इक-इक "हवा" पर "टैक्स" लगा दे ©DK SAXENA

#love_shayari #Quotes  White तूफान आने पर "पैनल्टी" लगा दे
सुनामी पर "उम्रकैद"

बस नही चलता प्रकृति पर
"सरकार" का
वर्ना
"साँसों" की इक-इक "हवा" पर 
"टैक्स" लगा दे

©DK SAXENA

#love_shayari

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White तूफान आने पर "पैनल्टी" लगा दे सुनामी पर उम्रकैद बस नही चलता प्रकृति पर वरना "सरकार" "हवा" लेने पर भी "टैक्स" लगा दे। ©DK SAXENA

#love_shayari #Quotes  White तूफान आने पर "पैनल्टी" लगा दे
सुनामी पर उम्रकैद

बस नही चलता प्रकृति पर
वरना
"सरकार" 
"हवा" लेने पर भी "टैक्स" लगा दे।

©DK SAXENA

#love_shayari

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White तूफान आने पर "पैनल्टी" लगा दे सुनामी पर उम्रकैद बस नही चलता प्रकृति पर वरना "सरकार" "हवा" लेने पर भी "टैक्स" लगा दे। ©DK SAXENA

#love_shayari #Quotes  White तूफान आने पर "पैनल्टी" लगा दे
सुनामी पर उम्रकैद

बस नही चलता प्रकृति पर
वरना
"सरकार" 
"हवा" लेने पर भी "टैक्स" लगा दे।

©DK SAXENA

#love_shayari

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White ऐ-दिल बता किसे अपना समझें किसे पराया जो रात भर बसा था निगाहों में पल-पल था पनाहों में वो इक "ख़्वाब" ही तो था जो "अपना" सा था पलकें क्या "खुलीं" वो भी "ओझल" हो गया ©DK SAXENA

#Quotes #doctor  White ऐ-दिल बता किसे अपना समझें किसे पराया
जो रात भर बसा था निगाहों में
पल-पल था पनाहों में
वो
इक "ख़्वाब" ही तो था 
जो "अपना" सा था
पलकें क्या "खुलीं"
वो भी "ओझल" हो गया

©DK SAXENA

#doctor&039;s_day_2024

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White सरगम गीत गा दिए! रिमझिम फुहार ने। मन मल्हारी हो गया! सावनी बहार में। बून्दों ने उन्माद के! ताल गज़ब बजाए। उन्माद में झूमी बूंदे! घटाओं के द्वार में। प्रीत के रंग सजाए ! मन की गुहार ने। छिड़ गए सारंग प्रेम के! भावों की बयार में। ©DK SAXENA

#sad_shayari  White सरगम गीत गा दिए!
रिमझिम फुहार ने।

मन मल्हारी हो गया!
सावनी बहार में।

बून्दों ने उन्माद के!
ताल गज़ब बजाए।

उन्माद में झूमी बूंदे!
घटाओं  के द्वार में।

प्रीत के रंग सजाए !
मन की गुहार ने।

छिड़ गए सारंग प्रेम के!
भावों की बयार में।

©DK SAXENA

#sad_shayari

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कभी छिपी हुई थी, जो उन्माद हँसी में दिखती नही थी वेदना,जिसकी कहकशी में उस ""ईंट के आंसूं"" रेत बनकर "बह" गए "सीलन" ने इस कदर बरपाया "कहर" ""दीवार"" के ""जिस्म से"" "परिधान अलग" हो गए ©DK SAXENA

#Quotes  कभी छिपी हुई थी, जो उन्माद हँसी में
दिखती नही थी वेदना,जिसकी कहकशी में

 उस
""ईंट के आंसूं"" रेत बनकर "बह" गए
"सीलन" ने इस कदर बरपाया "कहर"
""दीवार"" के ""जिस्म से""
"परिधान अलग" हो गए

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कभी छिपी हुई थी, जो उन्माद हँसी में दिखती नही थी वेदना,जिसकी कहकशी में उस ""ईंट के आंसूं"" रेत बनकर "बह" गए "सीलन" ने इस कदर बरपाया "कहर" ""दीवार"" के ""जिस्म से"" "परिधान अलग" हो गए ©DK SAXENA

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