कभी छिपी हुई थी, जो उन्माद हँसी में
दिखती नही थी व
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कभी छिपी हुई थी, जो उन्माद हँसी में दिखती नही थी वेदना,जिसकी कहकशी में उस ""ईंट के आंसूं"" रेत बनकर "बह" गए "सीलन" ने इस कदर बरपाया "कहर" ""दीवार"" के ""जिस्म से"" "परिधान अलग" हो गए ©DK SAXENA

#Quotes  कभी छिपी हुई थी, जो उन्माद हँसी में
दिखती नही थी वेदना,जिसकी कहकशी में

 उस
""ईंट के आंसूं"" रेत बनकर "बह" गए
"सीलन" ने इस कदर बरपाया "कहर"
""दीवार"" के ""जिस्म से""
"परिधान अलग" हो गए

©DK SAXENA

कभी छिपी हुई थी, जो उन्माद हँसी में दिखती नही थी वेदना,जिसकी कहकशी में उस ""ईंट के आंसूं"" रेत बनकर "बह" गए "सीलन" ने इस कदर बरपाया "कहर" ""दीवार"" के ""जिस्म से"" "परिधान अलग" हो गए ©DK SAXENA

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