देह भंगुर सांसे थोड़ी और समय की फांस डोरी हैं सभी सीमाएं अपनी सब भरम सब खेल है मेरे अंदर है जो बैठा सत्य है बेमेल है उनके शब्दों को सुना दूं छेड़ दिल की तान रे मैं कवि हूँ मृत्यु भी अपनी है काव्य बीन बिरान रे #poet #consultant #SanatanYatri
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