भारत माता ग्राम देव स्थान देव कह कर भूमि को पूज | मराठी कविता

"भारत माता ग्राम देव स्थान देव कह कर भूमि को पूजा है जिस जगह है हमने जन्म लिया वह देश न माँ से दूजा है जिस धरा से हम पोषण पाते वह पालक पिता नही है क्या ? पर कायर बच्चों के खातिर यह भारत बंटा नही है क्या? अब भी संभलो अब भी जागो उस पौरुष का संधान करो भारत के टुकड़े जो चाहे उन असुरों का कल्याण करो। कल्याण असुर का किस में है यह फिर से तुम्हे बताऊ क्या ? काली शंकर या राम कृष्ण का कल्याण मार्ग समझाऊ क्या ? हर गण का जो यह तंत्र सही तो सब गण का दायित्व भी है भारत के दुश्मन से लड़ना हम सब का अपना युद्ध भी है अपने अस्तित्व का युद्ध यदि औरों के कंधे डालेंगे उस रक्तबीज से भारत को क्या फौजी सिर्फ बचा लेंगे ? हैं घात लगाए बैठे वो हर गली मोहल्ले चौराहे तेरे शोणित के प्यासे हैं वह शांति शांति गाने वाले निज रक्षा धर्म निभाने को असि हाथ धरों निज कर्म करो जय घोष करो सह वीर्यम का तुम वीर बनो संताप हरो"

 भारत माता 

ग्राम देव स्थान देव 
कह कर भूमि को पूजा है 
जिस जगह है हमने जन्म लिया 
वह देश न माँ से दूजा है 

जिस धरा से हम पोषण पाते 
वह पालक पिता नही है क्या ? 
पर कायर बच्चों के खातिर 
यह भारत बंटा नही है क्या? 

अब भी संभलो अब भी जागो 
उस पौरुष का संधान करो 
भारत के टुकड़े जो चाहे 
उन असुरों का कल्याण करो।  

कल्याण असुर का किस में है 
यह फिर से तुम्हे बताऊ क्या ? 
काली शंकर या राम कृष्ण का 
कल्याण मार्ग समझाऊ क्या ?

हर गण का जो यह तंत्र सही 
तो सब गण का दायित्व भी है
भारत के दुश्मन से लड़ना 
हम सब का अपना युद्ध भी है  

अपने अस्तित्व  का युद्ध यदि 
औरों के कंधे डालेंगे 
उस रक्तबीज से भारत को 
क्या फौजी सिर्फ बचा लेंगे ? 

हैं घात लगाए बैठे वो 
हर गली मोहल्ले चौराहे 
तेरे शोणित के प्यासे हैं 
वह शांति शांति गाने वाले 

निज रक्षा धर्म निभाने को 
असि हाथ धरों निज कर्म करो 
जय घोष करो सह वीर्यम का 
तुम वीर बनो संताप हरो

भारत माता ग्राम देव स्थान देव कह कर भूमि को पूजा है जिस जगह है हमने जन्म लिया वह देश न माँ से दूजा है जिस धरा से हम पोषण पाते वह पालक पिता नही है क्या ? पर कायर बच्चों के खातिर यह भारत बंटा नही है क्या? अब भी संभलो अब भी जागो उस पौरुष का संधान करो भारत के टुकड़े जो चाहे उन असुरों का कल्याण करो। कल्याण असुर का किस में है यह फिर से तुम्हे बताऊ क्या ? काली शंकर या राम कृष्ण का कल्याण मार्ग समझाऊ क्या ? हर गण का जो यह तंत्र सही तो सब गण का दायित्व भी है भारत के दुश्मन से लड़ना हम सब का अपना युद्ध भी है अपने अस्तित्व का युद्ध यदि औरों के कंधे डालेंगे उस रक्तबीज से भारत को क्या फौजी सिर्फ बचा लेंगे ? हैं घात लगाए बैठे वो हर गली मोहल्ले चौराहे तेरे शोणित के प्यासे हैं वह शांति शांति गाने वाले निज रक्षा धर्म निभाने को असि हाथ धरों निज कर्म करो जय घोष करो सह वीर्यम का तुम वीर बनो संताप हरो

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भारत माता

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