है कुरुक्षेत्र हर क्षण जीवन का यह जान समर में आया

"है कुरुक्षेत्र हर क्षण जीवन का यह जान समर में आया है धर्म ध्वजा, गांडीव धरे वो वैराग्य विरता पाया है हैं क्षत्रपति लौटे फिर से रणचंडी का खप्पर भरने कर विरोच्चित वह कर्म मात्र भारत को निष्कंटक करने है पुष्प मित्र सा जान रहा घर के भीतर गद्दारों को धर्म राष्ट्र के शत्रु को कुण्ठित हर एक विचारों को निर्लिप्त हुए असि हाथ धरे वह ललितादित्य सा रण में है निर्भीक खरा शत्रु दलने स्वच्छंद सिंह सा वन में है एक महायुद्ध हैं शेष अभी शत्रु उत्पात मचाया है ललकार काल के सेवक को भैरव को पुनः जगाया है संकल्प भानु से ले कर वह प्रति पल अंधियारे से लड़ता है यश अपयश का मोह कहाँ बस कर्म योग पथ पर चलता"

 है कुरुक्षेत्र हर क्षण जीवन का 
यह जान समर में आया है 
धर्म ध्वजा, गांडीव धरे वो 
वैराग्य विरता पाया है 

हैं क्षत्रपति लौटे फिर से 
रणचंडी का खप्पर भरने 
कर विरोच्चित वह कर्म मात्र
भारत को निष्कंटक करने

है पुष्प मित्र सा जान रहा 
घर के भीतर गद्दारों को 
धर्म राष्ट्र के शत्रु को 
कुण्ठित हर एक विचारों को 

निर्लिप्त  हुए असि हाथ धरे
वह ललितादित्य सा रण में है
निर्भीक खरा शत्रु दलने
स्वच्छंद सिंह सा वन में है 

एक महायुद्ध हैं शेष अभी 
शत्रु उत्पात मचाया है 
ललकार काल के सेवक को
भैरव को पुनः जगाया है 

संकल्प भानु से ले कर वह
प्रति पल अंधियारे से लड़ता 
है यश अपयश का मोह कहाँ 
बस कर्म योग पथ पर चलता

है कुरुक्षेत्र हर क्षण जीवन का यह जान समर में आया है धर्म ध्वजा, गांडीव धरे वो वैराग्य विरता पाया है हैं क्षत्रपति लौटे फिर से रणचंडी का खप्पर भरने कर विरोच्चित वह कर्म मात्र भारत को निष्कंटक करने है पुष्प मित्र सा जान रहा घर के भीतर गद्दारों को धर्म राष्ट्र के शत्रु को कुण्ठित हर एक विचारों को निर्लिप्त हुए असि हाथ धरे वह ललितादित्य सा रण में है निर्भीक खरा शत्रु दलने स्वच्छंद सिंह सा वन में है एक महायुद्ध हैं शेष अभी शत्रु उत्पात मचाया है ललकार काल के सेवक को भैरव को पुनः जगाया है संकल्प भानु से ले कर वह प्रति पल अंधियारे से लड़ता है यश अपयश का मोह कहाँ बस कर्म योग पथ पर चलता

#happybirthdaypmmodi

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