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बज्जिकांचल की बेटी insta @ritussingh_ https://instagram.com/ritussingh_?igshid=OTJhZDVkZWE=
Ritu Singh
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लड़ाई हिंदुस्तानी -पाकिस्तानी होने की लड़ाई हिंदू- मुस्लिम होने की लड़ाई सवर्ण -दलित होने की लड़ाई आरक्षित- अनारक्षित होने की लड़ाई स्त्री -पुरुष होने की लड़ाई बंगाली,बिहारी,राजस्थानी,मराठी होने की । इंसान , कितने टुकड़ों में बँटोगे तुम, कितने टुकड़ों में बंँटेगा देश । रितु सिंह ©Ritu Singh
13 Love
अच्छी लगती है रास्ते के किनारे स्कूल से लौटती हुई रंग - ओ - गुलाल से खेलती रंगी हुई स्वतंत्रता और समानता की प्रतीक प्यारी - सी लड़कियां उतना ही घृणित चौराहे पर लालच और हवस टपकाती आंखें ।। रितु सिंह ©Ritu Singh
9 Love
अपने ही होठों पर मुस्कान देखने को तरसे हम, जिंदा भी रहे और शमशान देखने को तरसे हम, ये मोहब्बत भी क्या कहर बन कर बरसा, कातिल की आंखों में ईमान देखने को तरसे हम ।। ©Ritu Singh
14 Love
फूल सरीखी कुछ लड़कियां इतनी कोमल होती है कि रास्तों में पड़े पत्थरों में भी देख लेती है खूबसूरती और चुनकर उन्हें घर तक ले आती है फिर घर के सबसे खूबसूरत कोने में रखती है संभालकर अमानत की तरह, पत्थरों को चुनते किसी रोज किसी मोड़ पर चुन लेती है वो अपने लिए पत्थर - सा ही एक प्रेमी और ढूंढ लेती है उनके हृदय की गहराइयों में छिपी संवेदनाएं, बारिश - सी ये लड़कियां बचाए रखती है प्रेम .....।। ©Ritu Singh
17 Love
सिर्फ स्वयं की तलाश में ही नही वरन् परिवार और संतान के सुख की तलाश में प्रायः पिता बन जाया करते हैं बुद्ध। घर से दूर अजनबियों के बीच दिन रात अकेले संघर्ष करता तपस्वी और परिवार के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश में शांत,स्थिर योगी । यकीनन पिता से बड़ा योद्धा कोई नहीं ।। रितु सिंह ©Ritu Singh
16 Love
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