White बिन मेरे वो एक लम्हा चैन से रहती नहीं,
प्यार तो करती है मुझसे जाने क्यों कहती नहीं।
बातें जब करता हैं कोई बैठ उसके पास में,
ज़िक्र आता है मेरा ही उसकी हर एक बात में।
बस किनारे पर खड़ी हैं इश्क़ में बहती नहीं,
प्यार तो करती है मुझसे जाने क्यों कहती नहीं।
इश्क़ मैं भी करता हूँ बस इसलिए बजबूरी है,
उसने दूरी बना रखी है इसलिए ही दूरी हैं।
जब मैं पूंछू इश्क़ का जवाब वो देती नहीं,
प्यार तो करती है मुझसे जाने क्यों कहती नहीं।
खुद ही मुझसे बोलेगी वो उसको कितना प्यार,
अब मुझको तारिक यहाँ उस दिन का इंतज़ार है।
ये इश्क़ का दरख़्त है कोई मौसमी खेती नहीं,
प्यार तो करती है मुझसे जाने क्यों कहती नहीं।
©Tarik Khan
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