ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ पर खुदा ना हो।
मिर्ज़ा ग़ालिब
मस्जिद खुदा का घर है पीने की जगह नहीं,
काफिर के दिल में जा के वहा पर खुदा नहीं।
अल्लामा इक़बाल
काफिर के दिल से आया हूँ मैं ये देख कर,
खुदा मौजूद है वहां मगर उसको पता नहीं।
अहमद फ़राज़
खुदा तो मौजूद है दुनियाँ में हर जगह,
जन्नत में जा के पी वहां पीना मना नहीं।
वसी शाह
पीता हूँ गमे दुनिया भुलाने के लिए मैं,
जन्नत में ग़म नहीं तो पीने में मज़ा नहीं।
साक़ी फारूकी
क्यों भटक रहा है यहाँ पीने को शराब,
आँखों से उनकी पी के उसमे कुछ गुनाह नहीं।
तारिक खान
©Tarik Khan
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