Karan Kumar

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gym lover, writing poetry, songs and gajals From Kanha ki nagari Mathura knocking door in search of happiness

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#Ambitions  रोक तो लूं तुझे हाथ बढ़ा कर
पर जो ना मिला वो हक जताना नहीं चाहता
कि अब तुझमें खो जाना चाहता हूं
पर तुझे खोना नहीं चाहता
तू मेरा हो ना सका तो क्या 
 मै तेरा हो जाना चाहता हूं।

©Karan Kumar

#Ambitions

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#WoRaat  जिस रात की नहीं सुबह होती,
उस रात में हम बैठे हैं,
जो ना हो सकता कभी अपना,
उसके इंतजार में
वक्त काटते रहते हैं।

©Karan Kumar

#WoRaat

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#SAD  मुझे मेरी तन्हाई मुबारक
मैं खुश हूं उसी में
शायद मैने ही चुनी है वो
अब बाकी जिंदगी कटेगी उसी में
अब नहीं रखूंगा उम्मीद तुझसे ऐ जिंदगी,
जितना दिया , उतने के लिए 
तरसते देखा है लोगों को।

©Karan Kumar

#SAD

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#तकदीर  टूटे घरोंदों को कब तक सम्हालूं
बिखरने को जो है
उन्हें कब तक समेटूं
तू ही बता तकदीर
तेरे बदलने का कब तक 
इंतजार करूं।

©Karan Kumar
 एक तेरा साथ पाने की खातिर
हर जख्म सहे जा रहे हैं
तू ना समझ पाया कभी
हम झेल कर  बेवफाई
वफा किए जा रहे हैं।

©Karan Kumar

एक तेरा साथ पाने की खातिर हर जख्म सहे जा रहे हैं तू ना समझ पाया कभी हम झेल कर बेवफाई वफा किए जा रहे हैं। ©Karan Kumar

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#samandar  तेरी यादों का समुंदर
से राह चलते चलते
भिगो देता है मुझे
समा लेता है अपने आगोश में।

©Karan Kumar

#samandar

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