टूटे घरोंदों को कब तक सम्हालूं बिखरने को जो है उन् | हिंदी Poetry Vide

"टूटे घरोंदों को कब तक सम्हालूं बिखरने को जो है उन्हें कब तक समेटूं तू ही बता तकदीर तेरे बदलने का कब तक इंतजार करूं। ©Karan Kumar "

टूटे घरोंदों को कब तक सम्हालूं बिखरने को जो है उन्हें कब तक समेटूं तू ही बता तकदीर तेरे बदलने का कब तक इंतजार करूं। ©Karan Kumar

#तकदीर

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