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तेरा जिक्र चला तो मुझ तक आ पहुंचा ।। blrj
मोहब्बत का क्या था वो तो मिलती रही तुम्हारे बाद भी हमें । मगर एक चीज़ जो नहीं मिली तुम्हारे हाथों की चाय हमें ©Balraj Chaprana
Balraj Chaprana
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ram lalla खींचत बान बहुजन दानी।। (दानी दानव का प्रायवाची) राम नाम के तीर ना जानी।। अहंकार के वश में ज्ञानी।। रावण के बस में ना आनी।। हसत हसत उपहास मानी।। कोमल काया राम की जानी।। खींच प्रत्यंचा कर्रण तक सियाजी।। चीर कवच को भेदन नाभि।। दानव के प्राण भांजी।। हे राम से गुंजत बानी।। राम नाम के तीर ना जानी ।। राम नाम के तीर ना जानी।।(अवधी भाषा ) blrj ©Balraj Chaprana
11 Love
भूलने वाला तो तुम्हें भी भूल सकता है अलबता अभी तो वो हमें ही भूला है ©Balraj Chaprana
12 Love
यही है ज्यादातर स्कूलों की निशानी सोशल मीडिया की कहानी अध्यापकों की जुबानी 90%अध्यापक शौध से नहीं प्रतिशोध से पढ़ा रहे हैं ©Balraj Chaprana
यार लोग मेरे साथ रात भर बैठे रहे अलाव पर उधर रात भर उसकी बारात धूमधाम से चढ़ती रही ©Balraj Chaprana
कम कपड़े और तन पकड़े गुजारी है हमने सर्दियां ख्यालों में तेरा हाथ पकड़ कर खींच लाते थे हम गर्मियां ©Balraj Chaprana
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