ram lalla खींचत बान बहुजन दानी।। (दानी दानव का प्रायवाची)
राम नाम के तीर ना जानी।।
अहंकार के वश में ज्ञानी।।
रावण के बस में ना आनी।।
हसत हसत उपहास मानी।।
कोमल काया राम की जानी।।
खींच प्रत्यंचा कर्रण तक सियाजी।।
चीर कवच को भेदन नाभि।।
दानव के प्राण भांजी।।
हे राम से गुंजत बानी।।
राम नाम के तीर ना जानी ।।
राम नाम के तीर ना जानी।।(अवधी भाषा ) blrj
©Balraj Chaprana
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