A Lost Poet

A Lost Poet Lives in Jamshedpur, Jharkhand, India

मेरी कविता सिर्फ शब्द नही , वो मैं ही हूँ।

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White हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता हुआ अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ हर नये दिन नया इंतज़ार आदमी घर की दहलीज़ से गेहूँ के खेत तक चलता फिरता कोई कारोबार आदमी ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र आख़िरी साँस तक बेक़रार आदमी -: निदा फ़ाज़ली ©A Lost Poet

#शायरी #GoodNight  White हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी 
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी 

सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता हुआ 
अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी 

हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते 
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी 

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ 
हर नये दिन नया इंतज़ार आदमी 

घर की दहलीज़ से गेहूँ के खेत तक 
चलता फिरता कोई कारोबार आदमी 

ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र 
आख़िरी साँस तक बेक़रार आदमी
       -: निदा फ़ाज़ली

©A Lost Poet

#GoodNight निदा फ़ाज़ली

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White कभी किसी को मुकम्मल1 जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता तमाम शह्‌र में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता कहाँ चिराग़ जलायें कहाँ गुलाब रखें छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलता चिराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है ख़ुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता -: निदा फ़ाज़ली ©A Lost Poet

#शायरी #sad_qoute  White कभी किसी को मुकम्मल1 जहाँ नहीं मिलता 
कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता

 बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले 
ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता

 तमाम शह्‌र में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो 
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता

 कहाँ चिराग़ जलायें कहाँ गुलाब रखें 
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता

 ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं 
ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलता

 चिराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है 
ख़ुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता
-: निदा फ़ाज़ली

©A Lost Poet

#sad_qoute निदा फ़ाज़ली

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White कभी किसी को मुकम्मल1 जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता -:निदा फ़ाज़ली ©Poet Rahul

#शायरी #sad_quotes  White कभी किसी को मुकम्मल1 जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता
                -:निदा फ़ाज़ली

©Poet Rahul

#sad_quotes निदा फ़ाज़ली

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#sad_shayari  White गीता मे श्री कृष्णा ने कहें 
शरीर पुराने वस्त्र जैसा 
फिर शरीर रूपी वस्त्र से 
तेरा ये संकोच कैसा

©Poet Rahul

#sad_shayari

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#sad_shayari  White किस कदर छोड़ दू तुम्हे जाना 
तुम मेरी आंखरी मुहब्बत हो 
जौन एलिआ

©Poet Rahul

#sad_shayari

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White भारत की जीत का सभी को बधाई ©Poet Rahul

#t20_worldcup_2024 #wishes  White भारत की जीत का 
सभी को बधाई

©Poet Rahul
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