White हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयो | हिंदी शायरी

"White हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता हुआ अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ हर नये दिन नया इंतज़ार आदमी घर की दहलीज़ से गेहूँ के खेत तक चलता फिरता कोई कारोबार आदमी ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र आख़िरी साँस तक बेक़रार आदमी -: निदा फ़ाज़ली ©A Lost Poet"

 White हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी 
फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी 

सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता हुआ 
अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी 

हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते 
हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी 

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ 
हर नये दिन नया इंतज़ार आदमी 

घर की दहलीज़ से गेहूँ के खेत तक 
चलता फिरता कोई कारोबार आदमी 

ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र 
आख़िरी साँस तक बेक़रार आदमी
       -: निदा फ़ाज़ली

©A Lost Poet

White हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता हुआ अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ हर नये दिन नया इंतज़ार आदमी घर की दहलीज़ से गेहूँ के खेत तक चलता फिरता कोई कारोबार आदमी ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र आख़िरी साँस तक बेक़रार आदमी -: निदा फ़ाज़ली ©A Lost Poet

#GoodNight निदा फ़ाज़ली

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