White फर्क रहा ही हमेशा अमीर और गरीबों के बीच
मैं देखता हूं तो महसूस होता है
मैं गरीब आऊं तुम्हे समझाने पर अगर
तुम समझोगे नहीं की कैसे ओर क्या क्या होता हैं
तुम्हारी दी हुई हर एक बेशकीमती चीज़
मुझे बताती है कि कितना नाकाबिल हूं मैं
जो बदले में तुम्हे आज तक कुछ न दे सका
वो बेशरम,बेगैरत हूं, वो जाहिल हूं मैं
सच ये नहीं कि पूरी तरह से कंगाल हु मगर
जो तुम्हे राहत दे सके बस वैसा कुछ भी नहीं
मैं बस तुम्हारे ही काम आ नहीं रहा
मेरे दोस्त समझो ,ऐसा कुछ भी नहीं
मैं अक्सर झल्ला पड़ता हूं जब मेरी बारी आती हैं
मैं अक्सर घबरा जाता हूं जब मेरी बारी आती हैं
मैं लुटा सकता हूं खुशियां सारे जहान की तुम पर
मैं अक्सर रुसवा हो जाता हूं जब बारी मेरी आती हैं!
©pearlikA
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