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मैं अल्फाज़ नहीं, अपने जज़्बात लिखता हूं। follow me on Instagram @deep__deepesh
Unsplash "तू मुझे ज़रूरी है" सर्दियों में अलाव की तरह धूप में छाँव की तरह शहर में गांव की तरह परायों में लगाव की तरह लहरों में नाव की तरह ठहरे पानी में बहाव की तरह उलझनों में सुझाव की तरह भागती ज़िन्दगी में ठहराव की तरह तू मुझे ज़रूरी है 🖤 ©Deepesh verma
Deepesh verma
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White बातों बातों मे ये सच जाने कौन कह गया... "ज़माने का कोई मतलब नहीं रहा बस मतलब का ज़माना रह गया " ©Deepesh verma
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White किस्मत खेल खिलाती है आदमी महज़ खिलौना है ©Deepesh verma
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