Sagar Sheikhpura

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White उसकी दुआ का उसकी मोहब्बत का मुझ पर आज भी असर है बहुत शिद्दत से चाहता हूं मैं उसे पर उसे लगता है मेरी मोहब्बत में अभी कसर है मैं दिन-रात खोया रहता हूं उसकी यादों में उसके ख्यालों में पर वो इस बात से अनजान हैं बेखबर है दिल करता है उसे लगा लूं गले से मैं अपने पर उसके और मेरे बीच में कईं समुंद्रो का सफर है ©Sagar Sheikhpura

 White उसकी दुआ का उसकी मोहब्बत का 
मुझ पर आज भी असर है

  बहुत शिद्दत से  चाहता हूं मैं उसे 
पर उसे लगता है मेरी मोहब्बत में अभी कसर है

 मैं दिन-रात खोया रहता हूं उसकी यादों में उसके ख्यालों में
 पर वो इस बात से अनजान हैं बेखबर है

 दिल करता है उसे लगा लूं  गले से मैं अपने 
पर उसके और मेरे बीच में कईं समुंद्रो का सफर है

©Sagar Sheikhpura

White उसकी दुआ का उसकी मोहब्बत का मुझ पर आज भी असर है बहुत शिद्दत से चाहता हूं मैं उसे पर उसे लगता है मेरी मोहब्बत में अभी कसर है मैं दिन-रात खोया रहता हूं उसकी यादों में उसके ख्यालों में पर वो इस बात से अनजान हैं बेखबर है दिल करता है उसे लगा लूं गले से मैं अपने पर उसके और मेरे बीच में कईं समुंद्रो का सफर है ©Sagar Sheikhpura

13 Love

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा कितनी खामोशी से मुझे उसने कह दिया तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा मैं ख़ुदा का नाम ले कर पी रहा हूँ दोस्तो ज़हर भी इस में अगर होगा दवा हो जाएगा सब उसी के हैं हवा ख़ुशबू ज़मीन ओ आसमाँ मैं जहाँ भी जाऊँगा उस को पता हो जाएगा ©Sagar Sheikhpura

#Quotes  सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा 
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा 

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है 
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा 

कितनी खामोशी से मुझे उसने  कह दिया 
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा 

मैं ख़ुदा का नाम ले कर पी रहा हूँ दोस्तो 
ज़हर भी इस में अगर होगा दवा हो जाएगा 

सब उसी के हैं हवा ख़ुशबू ज़मीन ओ आसमाँ 
मैं जहाँ भी जाऊँगा उस को पता हो जाएगा

©Sagar Sheikhpura

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा कितनी खामोशी से मुझे उसने कह दिया तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा मैं ख़ुदा का नाम ले कर पी रहा हूँ दोस्तो ज़हर भी इस में अगर होगा दवा हो जाएगा सब उसी के हैं हवा ख़ुशबू ज़मीन ओ आसमाँ मैं जहाँ भी जाऊँगा उस को पता हो जाएगा ©Sagar Sheikhpura

9 Love

बे-फ़ैज़ इक चराग़ बताया गया मुझे सूरज बुझा तो ढूंढ के लाया गया मुझे उभरा हर एक बार नया फूल बन के मैं मिट्टी में जितनी बार मिलाया गया मुझे काग़ज़ क़लम के बीच रहा क़ैद उम्र भर लिखा गया मुझे न भुलाया गया मुझे हैरान हूं मैं वक़्त की तक़सीम देखकर किसके लिए था किसपे लुटाया गया मुझे पहले कहा गया कि लब आज़ाद हैं तेरे मैं बोलने लगा तो डराया गया मुझे शामिल तो कर लिया गया अहबाब में मगर महफ़िल में सबसे दूर बिठाया गया मुझे ©Sagar Sheikhpura

#Quotes  बे-फ़ैज़ इक चराग़ बताया गया मुझे
सूरज बुझा तो ढूंढ के लाया गया मुझे

उभरा हर एक बार नया फूल बन के मैं
मिट्टी में जितनी बार मिलाया गया मुझे

काग़ज़ क़लम के बीच रहा क़ैद उम्र भर
लिखा गया मुझे न भुलाया गया मुझे

हैरान हूं मैं वक़्त की तक़सीम देखकर
किसके लिए था किसपे लुटाया गया मुझे

पहले कहा गया कि लब आज़ाद हैं तेरे
मैं बोलने लगा तो डराया गया मुझे

शामिल तो कर लिया गया अहबाब में मगर
महफ़िल में सबसे दूर बिठाया गया मुझे

©Sagar Sheikhpura

बे-फ़ैज़ इक चराग़ बताया गया मुझे सूरज बुझा तो ढूंढ के लाया गया मुझे उभरा हर एक बार नया फूल बन के मैं मिट्टी में जितनी बार मिलाया गया मुझे काग़ज़ क़लम के बीच रहा क़ैद उम्र भर लिखा गया मुझे न भुलाया गया मुझे हैरान हूं मैं वक़्त की तक़सीम देखकर किसके लिए था किसपे लुटाया गया मुझे पहले कहा गया कि लब आज़ाद हैं तेरे मैं बोलने लगा तो डराया गया मुझे शामिल तो कर लिया गया अहबाब में मगर महफ़िल में सबसे दूर बिठाया गया मुझे ©Sagar Sheikhpura

13 Love

White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है बहार आने की सूरत निकल भी सकती है जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़ भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है ©Sagar Sheikhpura

#नियत  White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है
बहार आने की सूरत निकल भी सकती है

जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो
वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है

है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए
तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है

ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़
भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है

अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का 
अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं 

कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे
सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है

©Sagar Sheikhpura

#नियत

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मैं ग़लत हो सकता हूं तुम्हारे शब्दों में,बातों में जिस दिन हृदय में हो जाऊं तो मुझे भूल जाना। मैं स्वाभीमानी हो सकता हू अपनी हरकत से आदतों से जिस दिन घमंडी हो जाऊं तो मुझे भूल जाना। मैं प्रेम का आदि हो सकता हूं तुम्हारे प्रेम में मोह में जिस दिन तुम्हे भुला दूं तो मुझे भूल जाना। ©Sagar Sheikhpura

#शायरी #जाना #भूल  मैं ग़लत हो सकता हूं तुम्हारे शब्दों में,बातों में 
जिस दिन हृदय में हो जाऊं तो मुझे भूल जाना। 

मैं स्वाभीमानी हो सकता हू अपनी हरकत से आदतों से 
जिस दिन घमंडी हो जाऊं तो मुझे भूल जाना। 

मैं प्रेम का आदि हो सकता हूं तुम्हारे प्रेम में मोह में
जिस दिन तुम्हे भुला दूं तो मुझे भूल जाना।

©Sagar Sheikhpura

तेरी हसरत थी कि मैं हमेशा सिर्फ़ तेरा रहूं, अब तूने ही छोड़ा है ये बात किससे कहूं! ©Sagar Sheikhpura

#शायरी #brokenbond  तेरी हसरत थी कि मैं हमेशा सिर्फ़ तेरा रहूं,

अब तूने ही छोड़ा है ये बात किससे कहूं!

©Sagar Sheikhpura

#brokenbond

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