नागेंद्र किशोर सिंह

नागेंद्र किशोर सिंह

मेरा रेफरल कोड 7938 🌹मुझे है शौक लिखने का , दिल-ए-एहसास लिखता हूं।🌹🙏

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 जुबां चाहे ये के, कहे बात दिल की,
 पर निगाहों ने उसको इशारे से रोका।
सबब ये जुदाई का कहीं बन न जाए,
यही सोंच इजहार ए दिल को है रोका।

©नागेंद्र किशोर सिंह

# ज़ुबां चाहे ..# ग़ज़ल# मेरी कलम से#

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#शायरी

# मन बसे अवधपुर धाम# भक्ति# रचना# प्रभू श्री राम# मेरी कलम से#

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# बचपन # मस्ती#

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# माना के मंजिल दूर सही # कविता# मेरी कलम से #

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 "स्वाभिमान" इन्सान का वो अनमोल गहना है
जिसे इंसान जबतक धारण किए होता है,रौनक
बनी रहती है। इसे खो देने पर न रौनक रहती है
न सम्मान।
खुद को इतना भी सस्ता मत बनाओ कि लोग
इज्जत करना ही छोड़ दें। 

प्रेम, दिल या चाहत पर उमर की बंदिशें नहीं होती। हां, इस सत्य को लोग छिपाते हैं शराफत
का चोला पहनकर।

हर किसी से हालेदिल या दर्द को बयां करना
राहत नहीं पहुंचता है बल्कि या तो तमाशा 
बनाता है या बहुत बड़ी गलती का एहसास
करता है।.....🌹🙏नागेंद्र

©नागेंद्र किशोर सिंह

# यही कड़वा सच है # मेरी कलम से #

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#शायरी #हो  हो कौन अजनबी तुम, क्या तुमसे मेरा नाता ।
है डोर कौन सा जो, मुझे खींच ले के आता ।
 
नहीं जानता मैं तुमको ,
न मिला कभी भी तुमसे।
फिर भी पता नहीं क्यूं , 
कब बंध गया मैं तुमसे।

अनजान कोई कैसे भा दिल को कैसे जाता।
हो कौन अजनबी तुम ,क्या तुमसे मेरा नाता।

©नागेंद्र किशोर सिंह

#हो कौन अजनबी तुम# मेरी कलम से।

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