जुबां चाहे ये के, कहे बात दिल की, पर निगाहों ने उसको इशारे से रोका। सबब ये जुदाई का कहीं बन न जाए, यही सोंच इजहार ए दिल को है रोका। ©नागेंद्र किशोर सिंह # ज.
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