Gyan Prakash Yadav

Gyan Prakash Yadav

विचारो का हुक्मरान जिस तरह चाहे नाचाले अपने इशारे पर मुझे ए मालिक तेरे ही लिखे हुए अफ़साने का किरदार हूँ मैं 🎂17 july

https://youtube.com/@gyanprakashyadav2638?si=KBYyy6hjuXFKNz5B

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#NationalSimplicityDay  अक्सर अपना हाथ जला लेता हूं तेरी याद में
 एक नशे बिन अब सिगार भी नसीब नहीं होता

©Gyan Prakash Yadav
#aliabhatt  मुन्तजिर बन बैठी ये पलके क्यों दीदार करना चाहती हैं
छुटे हमसफर से क्यों प्यार करना चाहती है।

ये सब धुआं ही धुआं है जो हमसे लिपट नही सकता
ग़मगीन साये की ये ज़िन्दगी क्यों तेरा ख्याल करना चाहती है।

आफत बन बैठी ये दिल के तराने लफ़्ज़ों के सहारे
होठों की मुस्कान क्यों किसी का शिकार करना चाहती हैं।

भीगे ये पलके आज भी आंखों का तकरार चाहती हैं।
फिर एक बार सजदा कर दिल का इजहार करना चाहती है।

छुटे हमसफर से आज भी प्यार करना चाहती है।
छुटे हमसफर से आज भी प्यार करना चाहती है।।

©Gyan Prakash Yadav

#aliabhatt

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#RanbirAlia  तुम्हे महफूज रखने के खातिर 
रख दिए अपने सारे अशर्फियों को 
सड़क के उस पार 
लूट भी जाए तो कोई गम नही
तुम्हे कोई लूट ले 
तो हम जीते जी मर जायेंगे

©Gyan Prakash Yadav

#RanbirAlia

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#कविता        【सन्नाटा बुनता हूँ】

इस भीड़ में बस तू ही तो मेरी है
मैं तेरे इस शहर में सन्नाटा बुनता हूँ।।

जब भी तेरी गली से गुज़रूं दिल की धड़कन सुनता हूँ
हाँ मैं तेरे इस शहर में सन्नाटा बुनता हूँ।।

तेरे इंतेज़ार में भूमि से मरूभूमि बना हूँ
इस गर्म रेतीले कण में लावा सा भुना हूँ।।

मेरे आँखों के आईने में तेरी तस्वीर नज़र आती है,
मोहब्बत के पंक में ऊपर से नीचे सना हूँ।

जब भी तू राधिका बनती है तो मैं तेरा श्याम बनता हूँ,
हाँ मैं तेरे इस शहर मे सन्नाटा बुनता हूँ।
हाँ मैं तेरे इस शहर मे सन्नाटा बुनता हूँ।।

©Gyan Prakash Yadav

【सन्नाटा बुनता हूँ】 इस भीड़ में बस तू ही तो मेरी है मैं तेरे इस शहर में सन्नाटा बुनता हूँ।। जब भी तेरी गली से गुज़रूं दिल की धड़कन सुनता हूँ हाँ मैं तेरे इस शहर में सन्नाटा बुनता हूँ।। तेरे इंतेज़ार में भूमि से मरूभूमि बना हूँ इस गर्म रेतीले कण में लावा सा भुना हूँ।। मेरे आँखों के आईने में तेरी तस्वीर नज़र आती है, मोहब्बत के पंक में ऊपर से नीचे सना हूँ। जब भी तू राधिका बनती है तो मैं तेरा श्याम बनता हूँ, हाँ मैं तेरे इस शहर मे सन्नाटा बुनता हूँ। हाँ मैं तेरे इस शहर मे सन्नाटा बुनता हूँ।। ©Gyan Prakash Yadav

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