Vishal Thakur

Vishal Thakur Lives in Mal Bazar, West Bengal, India

आप जमाने की फ़िक्र करते रहते है, क्या आपने सोचा है की जमाने को कोई फुर्सत नहीं है किसी के बारे में सोचने की, हम कुछ लोग की कही बातो में आकर यह सोचने लगते है की जमाना क्या कहेगा, इसलिए जमाने की फ़िक्र न करे अपने काम पर ध्यान दे,🙏🙏

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#loyalty  वीर बिरसा मुंडा
                  

बिरसा मुंडा कहते थे, हम सब शबरी के वंशज हैं रघुनंदन हमें दुलारे हैं

प्रभु श्री राम ने छुआ छूत सब भेद मिटाकर, खाये जूठे बेर हमारे हैं

बिरसा तुम थे, जन जातियों के प्रखर अरुण ललाम

क्रांति का विगुल फूंक कर, खींची थी गोरों की लगाम

उलगुलान उलगुलान उलगुलान....

आदिवासियों जन जातियों का "धरती आबा" हुआ महान

आओ बिरसा आओ बिरसा, क्यों छुप गये भगवान

तुम बिन कैसे होगा, हमारा नूतन स्वर्ण विहान

भूल न सकेगा भारत तुमको, तू बहुत न्यारा था

गोरों का विद्रोही, आजादी का परवाना हमें बहुत प्यारा था

देश समाज पर बलिदान हुए, तुम क्रांतिवीर कहलाये

धन धान्य विहीन रहे , अतुल कष्ट सहे पर स्वार्थ नहीं दिखलाये

हमारे अधिकारों की जंग लड़ी, अल्प आयु में चले गये

दुष्कर्म, जातिवाद छोड़ो कह कर, संस्कृति राष्ट्र समर्पण सिखा गये
 ़
बिरसा भारत करता है, तुमको कोटि कोटि नमन प्रणाम

तुम रहोगे हमारी संस्कृति के,ध्रुव तारा अटल अक्षय अनाम 

जय बिरसा जय भारत वन्दे मातरम् |

©Vishal Thakur

#loyalty

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एक हाथ कभी नही लिख पाएंगी, अगर उस लिखने वाले के मन में छल हों। ©Vishal Thakur

#roseday #Quotes  एक हाथ कभी नही लिख पाएंगी,
अगर उस लिखने वाले के मन में छल हों।

©Vishal Thakur

#roseday ❤️❤️❤️

13 Love

क्या उम्मीद करें हम आजकल की सरकार से क्या उम्मीद करें, धुआं - धुआं सा है गुलिस्तां, क्या उम्मीद करें। कितनी शौक और तंगिस से पढ़ाया बच्चों को, छा गई हैं बेरोजगारी, क्या उम्मीद करें। अब घर में जल रहे उन आंसूओ से चराग, निशिदिन बरस रही गरीबी,क्या उम्मीद करें। थी तमन्ना कि घर चलेगा बहुत सुकून से, ठप्प पर गई हैं नियुक्तियां, क्या उम्मीद करे। रो- रो के घर कट रही जवानी में जिन्दगी, सरकारें हुई बे-मुखब्त, क्या उम्मीद करें। लाखों हसरते पाल के रखे थे नौजवान, कट रही गुरबत में जिन्दगी, क्या उम्मीद करें। बेरोजगारी की साया से उबरा नहीं मुल्क, कुछ बन रहे उसमें माफिया, क्या उम्मीद करें। सब्र की भी होती हैं आप देखो एक सीमा, ख़ाक हो रही है वो सांसे, क्या उम्मीद करें। नवयुवक ही तो होती है किसी देश की रीढ़, उनका मर रहा है हौसला, क्या उम्मीद करें। वादा करके ही आई वजूद में सरकार, वही रौंद रही है भविष्य, क्या उम्मीद करें। ©Vishal Thakur

#क्या_उम्मीद_करें #हिंदी_भाषा #भविष्य #उम्मीद #सरकार  क्या उम्मीद करें

हम आजकल की सरकार से क्या उम्मीद करें,
धुआं - धुआं सा है गुलिस्तां, क्या उम्मीद करें।
कितनी शौक और तंगिस से पढ़ाया बच्चों को,
छा गई हैं बेरोजगारी, क्या उम्मीद करें।

अब घर में जल रहे उन आंसूओ से चराग,
निशिदिन बरस रही गरीबी,क्या उम्मीद करें।
थी तमन्ना कि घर चलेगा बहुत सुकून से,
ठप्प पर गई हैं नियुक्तियां, क्या उम्मीद करे।

रो- रो के घर कट रही जवानी में जिन्दगी,
सरकारें हुई बे-मुखब्त, क्या उम्मीद करें।
लाखों हसरते पाल के रखे थे नौजवान,
कट रही गुरबत में जिन्दगी, क्या उम्मीद करें।

बेरोजगारी की साया से उबरा नहीं मुल्क,
कुछ बन रहे उसमें माफिया, क्या उम्मीद करें।
सब्र की भी होती हैं आप देखो एक सीमा,
ख़ाक हो रही है वो सांसे, क्या उम्मीद करें।

नवयुवक ही तो होती है किसी देश की रीढ़,
उनका मर रहा है हौसला, क्या उम्मीद करें।
वादा करके ही आई वजूद में सरकार,
वही रौंद रही है भविष्य, क्या उम्मीद करें।

©Vishal Thakur

उलझन ख्वाब क्या देखे हम, जो पूरी ही नहीं होती। रिश्तों के उलझन में उलझे हैं, हम क्या करें? ख़्वाब को समय दे या रिश्तों को, निभाना तो हमे ही है, दोनों को साथ लेकर कैसे चले, जरा बता दें हमे। रिश्तों को अहमियत दे या ख़्वाब को, जरा जता दे हमे। उलझते रिश्तों में दरार पर रहीं हैं, कैसी यह विपत्ति आई हैं। रिश्ते उलझन में उलझती उलझती जा रही हैं, अब तो रिश्तों की विखरावट, मेरे ख्वाबों में आ रही हैं। अब क्या करें? ऐसे! ख़्वाब पूरा करें? ©Vishal Thakur

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ख्वाब क्या देखे हम,
जो पूरी ही नहीं होती।
रिश्तों के उलझन में उलझे हैं,
हम क्या करें?
ख़्वाब को समय दे या रिश्तों को,
निभाना तो हमे ही है,
दोनों को साथ लेकर कैसे चले,
जरा बता दें हमे।
रिश्तों को अहमियत दे या ख़्वाब को,
जरा जता दे हमे।
उलझते रिश्तों में दरार पर रहीं हैं,
कैसी यह विपत्ति आई हैं।
रिश्ते उलझन में उलझती उलझती जा रही हैं,
अब तो रिश्तों की विखरावट,
मेरे ख्वाबों में आ रही हैं।
अब क्या करें?
ऐसे! ख़्वाब पूरा करें?

©Vishal Thakur

तेरी ही इशारों पर नज़र रहती है, तू देख ले तो..पगलेट हो जाते है। ©Vishal Thakur

#NatureLove  तेरी ही इशारों पर नज़र रहती है,
तू देख ले तो..पगलेट हो जाते है।

©Vishal Thakur

#NatureLove Pushpa Chhetri Jotshna Minj Monu ❣️ Rahul Kunj Tiwari

10 Love

एक रिश्ता है दो पंछियों की। एक जो अपनो के साथ एक ही स्थाई स्थान पर रहती है और दूसरा पंछी कभी एक स्थान पर नही रह सकता है क्यूंकि उसे उड़ना था खुले आसमान में बेफिकर होकर अपने को आज़ाद करके। बहुत दूर तक उड़ता है। उसके पंख भी बहुत बड़ी थी। वह पंछी बहुत सालों बाद अपने परिवार से मिलने आता है, तब उसे उस पंछी से मुलाकात होती है, जो अपने परिवार के साथ खुश थी। दोनों मिलते हैं एक खूबसूरत सुगंध के जरिए। दोनों साथ मिल जाते हैं। बहुत खुश रहते हैं। पर फिरसे उस पंछी का समय हो जाता है अपने आसमान में उड़ने का। दोनों बिछड़ जाते हैं। एक अपने परिवार के साथ अपने घर में रह जाती है और दूसरा जो अपने आपको एक आज़ाद रुप में जीना चाहता था वह उड़ जाता है, फिर दोनों अलग हो जाते हैं.........। ©Vishal Thakur

 एक रिश्ता है दो पंछियों की। एक जो अपनो के साथ एक ही स्थाई स्थान पर रहती है और दूसरा पंछी कभी एक स्थान पर नही रह सकता है क्यूंकि उसे उड़ना था खुले आसमान में बेफिकर होकर अपने को आज़ाद करके। बहुत दूर तक उड़ता है। उसके पंख भी बहुत बड़ी थी। वह पंछी बहुत सालों बाद अपने परिवार से मिलने आता है, तब उसे उस पंछी  से मुलाकात होती है, जो अपने परिवार के साथ खुश थी। दोनों मिलते हैं एक खूबसूरत सुगंध के जरिए। दोनों साथ मिल जाते हैं। बहुत खुश रहते हैं। पर फिरसे  उस पंछी का समय हो जाता है अपने आसमान में उड़ने का। दोनों बिछड़ जाते हैं। एक अपने परिवार के साथ अपने घर में रह जाती है और दूसरा जो अपने आपको एक आज़ाद रुप में जीना चाहता था वह उड़ जाता है, फिर दोनों अलग हो जाते हैं.........।

©Vishal Thakur

❤️❤️❤️...........। Pushpa Chhetri Jotshna Minj Saurav Das

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