SHASHIKANT

SHASHIKANT

" मन से एक समाज सेवी हूँ और तन से एक इंसान । प्रयास है एक लेखक बनने का, कवितायें मेरी है जान। कुछ कहने का मन जो हूआ , तो बस इतना कहना चाहता हूँ , भावनाओं को शब्दों में पिरो कर, कविताए लिखता जाता हूँ।

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#Shashikant_Verma #कविता  






मैं तो विजेता हूँ 
#Shashikant_Verma #कविता #Mere_alfaaz #mere_alfaz #Pain  👈 बस तुम क्यूँ सही?
#मोटिवेशनल #womenempowerment #missionshakti #Success #Women

उदभव से अवसान जहाँ संग आदि अंत की बातें हो संत समागम हो दिन में श्मशान की जगती रातें हो कलुषित मन भी गंग बने जहाँ देव भी आते जाते हो उस नगरी को जाना चाहूँ शायद खो कर खुद को पाऊँ। मृत्यु भी उत्सव लगता हो, चिताओ से घाट सजे जहाँ महादेव से अभिवादन हो, डम डम की नाद बजे जहाँ श्मशान घाट की होली हो गुलाल भस्म की लगे जहाँ उस नगरी को जाना चाहूँ शायद खो कर खुद को पाऊँ। पाषाण बदल कर हृदय बने कटुहृदय में मृदु धार बहे मन की कालिख धुल जाये न अंतस् में कोई उदगार रहे भस्म हो मन की पीर जहाँ विचारों में न कोई हुँकार रहे उस नगरी को जाना चाहूँ शायद खो कर खुद को पाऊँ। ©SHASHIKANT

#Shashikant_Verma #कविता #kashi  उदभव से अवसान जहाँ
संग आदि अंत की बातें हो
संत समागम हो दिन में
श्मशान की जगती रातें हो
कलुषित मन भी गंग बने
जहाँ देव भी आते जाते हो
उस नगरी को जाना चाहूँ
शायद खो कर खुद को पाऊँ।

मृत्यु भी उत्सव लगता हो,
चिताओ से घाट सजे जहाँ
महादेव से अभिवादन हो,
डम डम की नाद बजे जहाँ
श्मशान घाट की होली हो
गुलाल भस्म की लगे जहाँ
उस नगरी को जाना चाहूँ
शायद खो कर खुद को पाऊँ।

पाषाण बदल कर हृदय बने
कटुहृदय में मृदु धार बहे
मन की कालिख धुल जाये
न अंतस् में कोई उदगार रहे
भस्म हो मन की पीर जहाँ
विचारों में न कोई हुँकार रहे
उस नगरी को जाना चाहूँ
शायद खो कर खुद को पाऊँ।

©SHASHIKANT
#विचार  गले मिलने की बड़ी बुरी आदत थी मेरी,
होश तब आया जब पीठ पर ख़ंजर मिलें।

©SHASHIKANT

गले मिलने की बड़ी बुरी आदत थी मेरी, होश तब आया जब पीठ पर ख़ंजर मिलें। ©SHASHIKANT

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#विचार #fake_friends #Fake_people #fake_smile #fake_world  हृदय एक कोमल पुष्प है, जिसे बड़ी नरमी के साथ सहेजने, सवारने, सहलाने की जरूरत होती है लेकिन 
जब बार-बार छल, धोखे, चालाकी और कटु शब्दों की चोट लगने से उठी पीड़ा चरम को पार कर जाती है 
तो
अंत मे बस बचता है
 मौन व निःशब्दता संग झूठी मुस्कान
जो किसी को भी स्वीकार्य नही।

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