हृदय एक कोमल पुष्प है, जिसे बड़ी नरमी के साथ सहेजने, सवारने, सहलाने की जरूरत होती है लेकिन
जब बार-बार छल, धोखे, चालाकी और कटु शब्दों की चोट लगने से उठी पीड़ा चरम को पार कर जाती है
तो
अंत मे बस बचता है
मौन व निःशब्दता संग झूठी मुस्कान
जो किसी को भी स्वीकार्य नही।
©SHASHIKANT
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