देखो हमारी ओर, पहचानो हमे,
हम वही है, जो बाण भेद के
धरती से धरा निकल दिया करते थे…
एक ऊँगली पर,
गोवर्धन उठा लिया करते थे.
हम ही थे वो दिलेर जो चक्रव्यूह में
वापस लौटने की विद्या सीखे बगैर गए.
और वो भी हमी थे,
जिसके फेके हुए पत्थर पानी में तैयार गए.
हम मरना भी जानते है
और बचाना भी.
हमने दुश्मन के लिए
फाइटर जेट बनायीं संगिन बनायीं.
और जब ज़िन्दगी की साथ छूटने लगे तो
हम ही ने वैक्सीन बनाई.
और लिख दिया उस वैक्सीन पर
सर्वे सन्तु निरामयाः
यानि ईश्वर सिर्फ हम पर ही नहीं
हर किसी पर सब पे करे दया.
हम जाबांज़ है. जियाले है.
आँधियो से खेले है. बिजलियों के पाले है.
हम शांति का सवेरा है.
इन्शानियत के उजाले है.
पहचानो हमे हम इंडिया वाले है.
©PUSHKAR BHATIA
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