Ajay Yadav

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a vet by proffesion nd a poet by passion @ajayvk96

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Girl quotes in Hindi आज भी हर दिन कहीं सीता उठाई जाती है अग्नि परीक्षा की आग में हर बार जलाई जाती है संकोच आज भी राम का कम न हो रहा समाज के बातों में अपनी सीता खो रहा आज भी जाने कितने कलंक लिये ढो रही वो जाने किस कुटिया में छुपकर बैठी रो रही वो सवाल आज भी लोगों के कम न हो रहे लव-कुश अपनी माँ की विवश्ता पे रो रहे अछुत रहे रावण को हर वर्ष जलाया जाता हे सत्य पे असत्य के जीत का विश्वास दिलाया जाता है पर उसी पुतले के नीचे कई सीता जलते देखा है लोगों के जिव्हा के द्वारा रावण को निकलते देखा है फिर ठोकर खा घर से सीता वन को अकेले जाती है नयन के अश्रु, हृदय की पीड़ा जाने कैसे छुपाती है नियति वही कहानी हर रोज घर-घर दोहराती है थक हार अंत में उसे फिर माँ की गोद बुलाती है। -अजय

#कविता #ramayan #Sita #Ram  Girl quotes in Hindi आज भी हर दिन कहीं सीता उठाई जाती है
अग्नि परीक्षा की आग में हर बार जलाई जाती है
संकोच आज भी राम का  कम न हो रहा
समाज के बातों में अपनी सीता खो रहा
आज भी जाने कितने कलंक लिये ढो रही वो
जाने किस कुटिया में छुपकर बैठी रो रही वो
सवाल आज भी लोगों के कम न हो रहे
लव-कुश अपनी माँ की विवश्ता पे रो रहे
अछुत रहे रावण को हर वर्ष जलाया जाता हे
सत्य पे असत्य के जीत का विश्वास दिलाया जाता है
पर उसी पुतले के नीचे कई सीता जलते देखा है
लोगों के जिव्हा के द्वारा रावण को निकलते देखा है
फिर ठोकर खा घर से सीता वन को अकेले जाती है
नयन के अश्रु, हृदय की पीड़ा जाने कैसे छुपाती है 
नियति वही कहानी हर रोज घर-घर दोहराती है
थक हार अंत में उसे फिर माँ की गोद बुलाती है।
                          -अजय

मन की केतली भरी हुई है रोमांच की आंच से उतरी हुई है न सुबह का उबाल न शाम की खुशबु ज़िन्दगी में एक अजीब सी दोपहरी हुई है । -अजय

#विचार #selfthought  मन की केतली भरी हुई है
रोमांच की आंच से उतरी हुई है
न सुबह का उबाल न शाम की खुशबु
ज़िन्दगी में एक अजीब सी दोपहरी हुई है ।
                -अजय

man ki ketli #selfthought

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मजबूर हूं क्या इसलिए मजदूर हूं या मजदूर हूं इसलिए मजबूर हूं घर चलाने के खातिर शहर में आया आज घर से ही कोसो दूर हूं बहुत इमारतें बनाई शहरों में पर खुद का घर गांव में टूट रहा दूसरों का आशियाना बनाते संवारते आज मेरे अपनों का साथ छूट रहा लम्बी सडकें जिन्हे इन्ही हाथों से बनायी आज वो सड़कें भी मेरे लिए बंद है हवाई जहाज से आए इस रोग के दोष का जनरल डब्बे वाले को मिल रहा दंड है। -अजय

#majdoordiwas #Labourday #lockdown #covid19 #1stmay  मजबूर हूं क्या इसलिए मजदूर हूं
या मजदूर हूं इसलिए मजबूर हूं
घर चलाने के  खातिर शहर में आया
आज घर से ही कोसो दूर हूं
बहुत इमारतें बनाई शहरों में 
पर खुद का घर गांव में टूट रहा
दूसरों का आशियाना बनाते संवारते
आज मेरे अपनों का साथ छूट रहा
लम्बी सडकें जिन्हे इन्ही  हाथों से बनायी
आज वो सड़कें भी मेरे लिए बंद है
हवाई जहाज से आए इस रोग के  दोष का
जनरल डब्बे वाले को मिल रहा दंड है।
                          -अजय

उसके LUNCHBOX में कुछ ऐसा बना था, कि उसका स्वाद अब कभी न उतर पाए। KARWAAN जो शुरु किया उसने खूबशूरत सफर का उसकी खाली सीट शायद ही कोई भर पाए। सब उसकी कला देखें ऐसा करता था BLACKMAIL, काफी रोमांचक था उसके MADAARI का खेल। PIKU के संग हम भी चल चलते कलकत्ता, अगर पता होता अपना खत्म होने को मेल। रहे होंगे आप QAREEB QAREEB SINGLE, पर हमारे कमिटमेंट में पूरा JAZBAA था । HINDI MEDIUM से कैसे ANGREZI न हारता, आपका तो ‍ JURASSIC WORLD में भी कब्ज़ा था। LIFE OF PIE हो या LIFE IN METRO, तेरी हर अदा को दिल-ए- MAQBOOL किया। PAAN SINGH TOMAR को अमर किया तूने THANK YOU तूने हमे अपना दर्शक कबूल किया। -अजय

#alvidairfankhan #RipIrfanKhan #irfankhan  उसके LUNCHBOX में कुछ ऐसा बना था,
कि उसका स्वाद अब कभी न उतर पाए।
KARWAAN जो शुरु किया उसने खूबशूरत सफर का
उसकी खाली सीट शायद ही कोई भर पाए।
सब उसकी कला देखें ऐसा करता था BLACKMAIL,
काफी रोमांचक था उसके MADAARI का खेल।
PIKU के संग हम भी चल चलते कलकत्ता,
अगर पता होता अपना खत्म होने को मेल।
रहे होंगे आप QAREEB QAREEB SINGLE,
पर हमारे कमिटमेंट में पूरा JAZBAA था ।
HINDI MEDIUM से कैसे ANGREZI न हारता,
आपका तो ‍ JURASSIC WORLD में भी कब्ज़ा था। 
LIFE OF PIE हो या LIFE IN METRO,
तेरी हर अदा को दिल-ए- MAQBOOL किया।
PAAN SINGH TOMAR  को अमर किया तूने
THANK YOU तूने हमे अपना दर्शक कबूल किया।
                                             -अजय

किताबें सबसे अच्छी मित्र होती हैं, पर यहाँ तो उनसे इश्क़ हो जाता था। एक साथ सुबह -शाम गुजारते, रात कभी उन्ही के संग सो जाता था। नई किताबों की चमक और महक देख, दिल का टिंडर सिर्फ राइट स्वाइप करता। एक ही साँस में पढ़ जाऊं उन्हे, चित्रों पे ऐसे नज़र लगाए रहता । चोरी नहीं थी,लाइब्रेरी से किताबें उठाना, ओ तो महबूब को उसके घर से भगाना था। पहले पन्ने पे लिख के नाम अपना, उसके साथ रिलेशनशिप में जाना था। वो रोज़ मुझे अपनी ठेरों राज़ बताती, अपने ही सवालों में हमेशा उलझाती, कभी रूठ के उसे भूलना चाहुं तो, परीक्षा के वक्त बेवफा याद न आती। NEET की तैयारी और कोटा की गलियों में, सालों बायोलॉजी के NCERT का साथ रहा। हर पेज और लाइन को इश्क़ के रंग में रंग दिया , जागती रातों को बैठे , उससे कई जज्बात कहा। किताबों से इश्क़ अब इस कदर उतरा है, अब ना उन्हें देखता,ना कोई वास्ता रहा। हो‌ गई शादी डॉक्टरी की किताबों से पर इसमे न मिले वो,जिसे वर्षो तलाशता रहा। -अजय

#Selfthoughts #bookpoetry #Childhood #booklove  किताबें सबसे अच्छी मित्र होती हैं,
पर यहाँ तो उनसे इश्क़ हो जाता था।
एक साथ सुबह -शाम गुजारते,
रात कभी उन्ही के संग सो जाता था।
नई किताबों की चमक और महक देख,
दिल का टिंडर सिर्फ राइट स्वाइप करता।
एक ही साँस में पढ़ जाऊं उन्हे,
चित्रों पे ऐसे नज़र लगाए रहता ।
चोरी नहीं थी,लाइब्रेरी से किताबें उठाना,
ओ तो महबूब को उसके घर से भगाना था।
पहले पन्ने पे लिख के नाम अपना,
उसके साथ रिलेशनशिप में जाना था।
वो रोज़ मुझे अपनी ठेरों राज़ बताती,
अपने ही सवालों में हमेशा उलझाती,
कभी  रूठ के उसे भूलना चाहुं तो,
परीक्षा के वक्त  बेवफा याद न आती।
NEET की तैयारी और कोटा की गलियों में, 
सालों बायोलॉजी के NCERT का साथ रहा।
हर पेज और लाइन को इश्क़ के रंग में रंग दिया ,
जागती रातों को बैठे , उससे कई जज्बात कहा।
किताबों से इश्क़ अब इस कदर उतरा है,
अब ना उन्हें देखता,ना कोई वास्ता रहा।
हो‌ गई शादी  डॉक्टरी की किताबों से
पर इसमे न मिले वो,जिसे वर्षो तलाशता रहा।
                                                   -अजय

अब न मैं रूकुंगी यहां पर उड़ते ही अब मुझे जाना है। एक बार डोर छोड़ दो बच्चे आसमान छू के दिखाना है। बहुत छोटी है डोर तुम्हारी, ऊंचे हैं उनसे सपने मेरे। हवाओं के संग उड़ जाने दे नहीं रहना अब संग तेरे। समझता क्या है अपने आप को मुझको राह दिखाता है, आसमान में उड़ रही मैं और जमीं से हुकुम चलाता है। जा रही मैं डाली से टकराने मुझको उससे न बचा पाएगा तोड़ कर डोर उड़ जाऊंगी मैं तू देख बड़ा पछताएगा। डोर तोड़ कर भी पतंग आसमान को न छू पाई देख बच्चे चिल्ला रहें आसमान से कटी पतंग आई। -अजय

#कविता #naturepoetry #lifepoetry #patang #kite  अब न मैं रूकुंगी यहां पर
उड़ते ही अब मुझे जाना है।
एक बार डोर छोड़ दो बच्चे 
आसमान छू के दिखाना है।
बहुत छोटी है डोर तुम्हारी,
ऊंचे हैं उनसे सपने मेरे।
हवाओं के संग उड़ जाने दे
नहीं रहना अब संग तेरे।
समझता क्या है अपने आप को
मुझको राह दिखाता है,
आसमान में उड़ रही मैं
और जमीं से हुकुम चलाता है।
जा रही मैं डाली से टकराने
मुझको उससे न बचा पाएगा
तोड़ कर डोर उड़ जाऊंगी मैं
तू देख बड़ा पछताएगा।
डोर तोड़ कर भी पतंग
आसमान को न छू पाई
देख बच्चे चिल्ला रहें
आसमान से कटी पतंग आई।
              -अजय
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