किताबें सबसे अच्छी मित्र होती हैं, पर यहाँ तो उनसे | हिंदी Love

"किताबें सबसे अच्छी मित्र होती हैं, पर यहाँ तो उनसे इश्क़ हो जाता था। एक साथ सुबह -शाम गुजारते, रात कभी उन्ही के संग सो जाता था। नई किताबों की चमक और महक देख, दिल का टिंडर सिर्फ राइट स्वाइप करता। एक ही साँस में पढ़ जाऊं उन्हे, चित्रों पे ऐसे नज़र लगाए रहता । चोरी नहीं थी,लाइब्रेरी से किताबें उठाना, ओ तो महबूब को उसके घर से भगाना था। पहले पन्ने पे लिख के नाम अपना, उसके साथ रिलेशनशिप में जाना था। वो रोज़ मुझे अपनी ठेरों राज़ बताती, अपने ही सवालों में हमेशा उलझाती, कभी रूठ के उसे भूलना चाहुं तो, परीक्षा के वक्त बेवफा याद न आती। NEET की तैयारी और कोटा की गलियों में, सालों बायोलॉजी के NCERT का साथ रहा। हर पेज और लाइन को इश्क़ के रंग में रंग दिया , जागती रातों को बैठे , उससे कई जज्बात कहा। किताबों से इश्क़ अब इस कदर उतरा है, अब ना उन्हें देखता,ना कोई वास्ता रहा। हो‌ गई शादी डॉक्टरी की किताबों से पर इसमे न मिले वो,जिसे वर्षो तलाशता रहा। -अजय"

 किताबें सबसे अच्छी मित्र होती हैं,
पर यहाँ तो उनसे इश्क़ हो जाता था।
एक साथ सुबह -शाम गुजारते,
रात कभी उन्ही के संग सो जाता था।
नई किताबों की चमक और महक देख,
दिल का टिंडर सिर्फ राइट स्वाइप करता।
एक ही साँस में पढ़ जाऊं उन्हे,
चित्रों पे ऐसे नज़र लगाए रहता ।
चोरी नहीं थी,लाइब्रेरी से किताबें उठाना,
ओ तो महबूब को उसके घर से भगाना था।
पहले पन्ने पे लिख के नाम अपना,
उसके साथ रिलेशनशिप में जाना था।
वो रोज़ मुझे अपनी ठेरों राज़ बताती,
अपने ही सवालों में हमेशा उलझाती,
कभी  रूठ के उसे भूलना चाहुं तो,
परीक्षा के वक्त  बेवफा याद न आती।
NEET की तैयारी और कोटा की गलियों में, 
सालों बायोलॉजी के NCERT का साथ रहा।
हर पेज और लाइन को इश्क़ के रंग में रंग दिया ,
जागती रातों को बैठे , उससे कई जज्बात कहा।
किताबों से इश्क़ अब इस कदर उतरा है,
अब ना उन्हें देखता,ना कोई वास्ता रहा।
हो‌ गई शादी  डॉक्टरी की किताबों से
पर इसमे न मिले वो,जिसे वर्षो तलाशता रहा।
                                                   -अजय

किताबें सबसे अच्छी मित्र होती हैं, पर यहाँ तो उनसे इश्क़ हो जाता था। एक साथ सुबह -शाम गुजारते, रात कभी उन्ही के संग सो जाता था। नई किताबों की चमक और महक देख, दिल का टिंडर सिर्फ राइट स्वाइप करता। एक ही साँस में पढ़ जाऊं उन्हे, चित्रों पे ऐसे नज़र लगाए रहता । चोरी नहीं थी,लाइब्रेरी से किताबें उठाना, ओ तो महबूब को उसके घर से भगाना था। पहले पन्ने पे लिख के नाम अपना, उसके साथ रिलेशनशिप में जाना था। वो रोज़ मुझे अपनी ठेरों राज़ बताती, अपने ही सवालों में हमेशा उलझाती, कभी रूठ के उसे भूलना चाहुं तो, परीक्षा के वक्त बेवफा याद न आती। NEET की तैयारी और कोटा की गलियों में, सालों बायोलॉजी के NCERT का साथ रहा। हर पेज और लाइन को इश्क़ के रंग में रंग दिया , जागती रातों को बैठे , उससे कई जज्बात कहा। किताबों से इश्क़ अब इस कदर उतरा है, अब ना उन्हें देखता,ना कोई वास्ता रहा। हो‌ गई शादी डॉक्टरी की किताबों से पर इसमे न मिले वो,जिसे वर्षो तलाशता रहा। -अजय

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