Nishant Singh Rajput

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ये रातें उन लफ्जों का सवाल बन रही है, मिट्टी की खुशबू बारिश का इंतजार कर रही है । उनके चेहरे में फलक देख रहा था, अब तो रूह भी बादलों से, फलक का रास्ता पूछ रही है ।। ©Nishant Singh Rajput

#shaiyari #Missing #Night  ये रातें उन लफ्जों का सवाल बन रही है,
मिट्टी की खुशबू बारिश का इंतजार कर रही है ।
उनके चेहरे में फलक देख रहा था,
अब तो रूह भी बादलों से, फलक का रास्ता पूछ रही है ।।

©Nishant Singh Rajput

ये रात हमारी बाकी है क्या ? तेरी खुशबू हमारी झांकी है क्या ? कई फूल खिले इस गुलशन में, इस फूल का कोई माली है क्या ? ©Nishant Singh Rajput

#Opposite_of_love #true_love #halflove #Quotes  ये रात हमारी बाकी है क्या ?
तेरी खुशबू हमारी झांकी है क्या ?
कई फूल खिले इस गुलशन में,
इस फूल का कोई माली है क्या ?

©Nishant Singh Rajput

तू पीर है फ़क़ीर है भक्तों की लकीर है त्रिनेत्र है ललाट पे जटा में बांधे गंगा नीर है नील है कंठ तेरा आदि है न अंत तेरा बदन पर रगड़े भस्म तू हर श्मशान में है वास तेरा है चंद्रमा जटाओं में रूद्र है भुजाओं में देव हो या दैत्य हो तुझे पूजे हर दिशाओं में तू प्रेम की मिसाल है ब्रह्मांड से विशाल है तेरे सुर से और ताल से मिट रहा अकाल है तांडव तेरा नृत्य है बदन पे खाल अलंकृत है भूत हो पिशाच हो, देव हो या दैत्य हो तेरी सभा में सारे एकीकृत है कौरवों का काल तू पांडवों की ढाल है तू सोम भी और रौद्र भी तुझे कहते महाकाल है ©Nishant Singh Rajput

#mahadevkavita #mahashivratri #mahadevshiv #Tandav  तू पीर है फ़क़ीर है
भक्तों की लकीर है
त्रिनेत्र है ललाट पे
जटा में बांधे गंगा नीर है

नील है कंठ तेरा
आदि है न अंत तेरा
बदन पर रगड़े भस्म तू
हर श्मशान में है वास तेरा

है चंद्रमा जटाओं में
रूद्र है भुजाओं में
देव हो या दैत्य हो
तुझे पूजे हर दिशाओं में

तू प्रेम की मिसाल है
ब्रह्मांड से विशाल है
तेरे सुर से और ताल से
मिट रहा अकाल है

तांडव तेरा नृत्य है
बदन पे खाल अलंकृत है
भूत हो पिशाच हो, देव हो या दैत्य हो
तेरी सभा में सारे एकीकृत है

कौरवों का काल तू
पांडवों की ढाल है
तू सोम भी और रौद्र भी
तुझे कहते महाकाल है

©Nishant Singh Rajput

है सालगिरह उनका, जिसने लोगों को बतलाया l एकता की ताकत से तुम, जीत लो, जग की माया ll खड़े रहे हरदम वो तो, देने को साथ हमारा l अपने दूजे की भेद न करके, तूफानों में दिया सहारा ll प्यार मोहब्बत करते सबसे, समझ ना कोई इनको पाया l क्रोध दिखाकर प्यार जो करते, दिन में सबको चांद दिखाया ll हमने जीवन जीना, इनसे सीखा, बचत में रहकर सब कुछ देखा l हम तो छोटे बालक हैं, परिवार की अखंडता इनसे सीखा ll जोड़ी इनकी सबको भाती, सुबह लड़ाई और शाम को पार्टी l अनुभव में है अव्वल दर्जा, हर क्षेत्र में इनको मिला है ख्याति ll क्रोध में इनके कोई ना पड़ना, फिर बच्चे बूढ़े एक समान l महादेव की भक्ति करके, सुना रहे थे अपना फरमान ll गलती-सलती माफ करें, गलतफहमियां साफ करें l जोड़ी आपकी बनी रहे, चाचा-चाची हमको हमेशा प्यार करें ll ©Nishant Singh Rajput

#anniversary  है सालगिरह उनका,
जिसने लोगों को बतलाया l
एकता की ताकत से तुम,
जीत लो, जग की माया ll

खड़े रहे हरदम वो तो,
देने को साथ हमारा l
अपने दूजे की भेद न करके,
तूफानों में दिया सहारा ll

प्यार मोहब्बत करते सबसे,
समझ ना कोई इनको पाया l
क्रोध दिखाकर प्यार जो करते,
दिन में सबको चांद दिखाया ll

हमने जीवन जीना, इनसे सीखा,
बचत में रहकर सब कुछ देखा l
हम तो छोटे बालक हैं,
परिवार की अखंडता इनसे सीखा ll

जोड़ी इनकी सबको भाती,
सुबह लड़ाई और शाम को पार्टी l
अनुभव में है अव्वल दर्जा,
हर क्षेत्र में इनको मिला है ख्याति ll

क्रोध में इनके कोई ना पड़ना,
फिर बच्चे बूढ़े एक समान l
महादेव की भक्ति करके,
सुना रहे थे अपना फरमान ll

गलती-सलती माफ करें,
गलतफहमियां साफ करें l
जोड़ी आपकी बनी रहे,
चाचा-चाची हमको हमेशा प्यार करें ll

©Nishant Singh Rajput

Love quotes in hindi तारीफ तुम्हारी क्या करूं, आफताब की रोशनी हो तुम l रख दिया हाथ जिस मर्ज पे, उस मर्ज की दवा हो तुम ll मर मिटा उस चेहरे पे, जिसपे कई लोग मिटे थे l मीट रहा था अब तो मैं भी, ना जाने हम किस ओर खड़े थे ll धूप लगी उस चेहरे पे, नजरें उसकी झुकी हुई l झुकी हुई नजरों को देखा, सुबह भी मेरी हुई नहीं ll साथ चला कहीं दूर तलक, दूर तलक तुम मेरे थे l जब रात होती शाम को देखा, उस रात भी तुम तो मेरे थे ll समय का मुझको होश ना, समय तो बढ़ता चला गया था l रास्ते जब खत्म हुए, तो लगा कि जैसे शुरू हुआ था ll तुम जाने लगे जब अपने घर को, लगा कि जैसे रुका रहूं l रुक कर थोड़ी बात करूं और, हर शाम तुम्हारे नाम करूं ll ©Nishant Singh Rajput

 Love quotes in hindi तारीफ तुम्हारी क्या करूं,
आफताब की रोशनी हो तुम l
रख दिया हाथ जिस मर्ज पे,
उस मर्ज की दवा हो तुम ll

मर मिटा उस चेहरे पे,
जिसपे कई लोग मिटे थे l
मीट रहा था अब तो मैं भी,
ना जाने हम किस ओर खड़े थे ll

धूप लगी उस चेहरे पे,
नजरें उसकी झुकी हुई l
झुकी हुई नजरों को देखा,
सुबह भी मेरी हुई नहीं ll

साथ चला कहीं दूर तलक,
दूर तलक तुम मेरे थे l
जब रात होती शाम को देखा,
उस रात भी तुम तो मेरे थे ll

समय का मुझको होश ना,
समय तो बढ़ता चला गया था l
रास्ते जब खत्म हुए,
तो लगा कि जैसे शुरू हुआ था ll

तुम जाने लगे जब अपने घर को,
लगा कि जैसे रुका रहूं l
रुक कर थोड़ी बात करूं और,
हर शाम तुम्हारे नाम करूं ll

©Nishant Singh Rajput

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