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jharkhand
साल आखिरी दिन था अपने सफर से घर कि ओर चल पड़ा था कि याकयक याद कोई आ गया सोचा उसके घर के सामने से जाना है देख लेता उसे मिल लेता उसे करीब से देख लेता साल कि आखिरी मुलाक़ात सोचता हुआ निकला मगर ये कैसे था संभव एकाएक दरवाजे से गुजरा मेरी बाइक रुक गयी वो भागी आयी बोली बोलिए!क्या कहता सो कहा आज़ आखिरी साल है कल बदल जायेगा तुम 2024 ही रहना बदलना नहीं यही कहना था हा मिलूंगा कल भी 2025मे थोड़ी निखरी निखरी बहकी बहकी मिली थी एक अभिवादन था जिसमें था हम वहीँ है और वहीँ पर ©ranjit Kumar rathour
ranjit Kumar rathour
19 Love
सर्द मौसम मे भी एक गरमाहट सी है जो बाऱ बार एहसास कराती है कि कोई है जो तुम्हे यादो का लिहाफ ओढ़े याद कर रहा है और फिर लगता कि शायद वो यही कही पास ही है मेरे करीब और करीब हा बिल्कुल करीब ©ranjit Kumar rathour
12 Love
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वों अच्छी नहीं है दिखने मे बहुत मामूली सी है छोटा कद है उसका आकर्षक भी नहीं है बाते भी अच्छी नहीं करती बहुत साधारण लगती है कुछ भी खास नहीं है लेकिन कुछ तो है जो बांकी औरो मे नहीं है उसने कहा नहीं कुछ लेकिन लड़ बैठतीं थी बांकी कि हिम्मत नहीं थी वों चढ़ बैठतीं थी मन कि हर बात मुझसे कहती उसे लगता मै अच्छा हुँ मै ऐसा भी नहीं था जो उसे लगा उतना भी सही नहीं था एक दिन वों करीब ख़डी थी मै खुद को रोक नहीं पाया न कोई विरोध न नाराजगी फिर लगा ये वों तो नहीं हां वों ही था हां वों ही था ©ranjit Kumar rathour
9 Love
मिलना था पहले मिल जाते अब क्यों मिले ज़ब मिलना ही नहीं पता है चलोगे चार कदम फिर कहोगे अब सफऱ पूरा हुआ तुम उस रास्ते मै इस रास्ते क्या हो चंद पन्ने शेष रह जाते जिंदगी किताब मे सफ़ेद रह जाते चलो तू भी मेरी कहानी मे एक किरदार बन ही गयी तेरा हिस्सा बन गया थोड़े दिन तुझसे मै बावस्ता हो गया एक किस्सा मे मै हो गया और उस किस्से मे तू भी मेरा ही गया ©ranjit Kumar rathour
16 Love
ये कैसा मज़ाक है की वों मेरा होना चाहता है लेकिन ऐसा होगा नहीं ये बात हमको खूब पता है फासला है मेरे दरम्यान और फिर उसे जाना भी है ये उसने ही कहा है फिर भी मेरा होना चाहता है साथ चाहता है बचे वक्त संग मेरे जीना चाहता है कही ऐसा न हो कि उसे छोड़ना मुश्किल हो जाए डरता हूँ मेरी ख्वाइश मे उसके सपने बिखर न जाये अपनी नहीं उसकी सोच घबराता हूँ और इसी सोच के साथ तुम्हे तुम्हारे हाल पर छोड़ जाता हूँ हा छोड़ जाता हूँ ©ranjit Kumar rathour
मै ऐसा भी नहीं था ये बात बिल्कुल सही था क्या पता वों जादूगरनी थी या उसे आता जादू था इलज़ाम उसे दूँ मेरा इरादा ऐसा नहीं था खुद को जनता मै था खता हमसे हुईं होगी मगर कब हुईं पता नहीं था ©ranjit Kumar rathour
21 Love
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